एमटेक ग्रुप केस में दिल्ली हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, घोटाले में फंसे अरविंद धाम की जमानत याचिका खारिज

by Carbonmedia
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दिल्ली हाई कोर्ट ने 2700 करोड़ रुपए के बैंक फ्रॉड मामले में फंसे एमटेक ग्रुप के पूर्व अध्यक्ष अरविंद धाम को राहत देने से इनकार कर दिया. दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस रविंद्र डुडेजा ने अरविंद धाम की जमानत याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इस मामले में जमानत देने का कोई पर्याप्त आधार नहीं है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी इसी साल अप्रैल में अरविंद धाम की अंतरिम जमानत की याचिका को खारिज कर दिया था. 
ईडी ने 550 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति की अटैच
जांच एजेंसी ईडी ने हाल ही में एमटेक ग्रुप की कंपनियों की 550 करोड़ रुपए से अधिक की प्रॉपर्टी अस्थाई तौर पर अटैक की थी. सितंबर 2024 में भी करीब 5,115 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त किया गया था. ईडी की कार्रवाई एमटेक ऑटो लिमिटेड, एआरजी लिमिटेड, एसीआईएल लिमिटेड, मेटालिस्ट फोर्जिंग लिमिटेड, कैस्टेक्स टेक्नोलॉजीज लिमिटेड और प्रमोटर अरविंद धाम समेत अन्य के खिलाफ की गई.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ईडी की कार्रवाई 
यह जांच सुप्रीम कोर्ट के 27 फरवरी 2024 के आदेश पर प्रीवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत शुरू की गई थी. अरविंद धाम को जुलाई 2024 में गिरफ्तार किया गया था और उसी साल सितंबर में उनके खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की गई थी. 
ईडी के मुताबिक, आईडीबीआई बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र की शिकायत पर सीबीआई ने भी इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी. वहीं इस मामले में आरोप है कि एमटेक ग्रुप की कंपनियों ने बैंकों से लिए गए कर्ज को गलत तरीके से डायवर्ट किया और बैंकों को भारी नुकसान पहुंचाया. 
ईडी की जांच में बड़ा खुलासा
ईडी की जांच में सामने आया कि एमटेक ग्रुप की कई कंपनियो को दीवालिया प्रक्रिया में ले जाया गया और बैंको को समाधान प्रक्रिया में करीब 80 प्रतिशत से ज्यादा का नुकसान झेलना पड़ा. ईडी के मुताबिक, समूह कंपनियों के वित्तीय दस्तावेजों में हेर-फेर कर धोखाधड़ी से नए कर्ज लिए गए और फर्जी संपत्तियां व निवेश दिखाए गए. 
अटैच की गई संपत्तियों में राजस्थान और पंजाब में 145 एकड़ जमीन, दिल्ली-एनसीआर में करीब 342 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी और एक सौ बारह करोड़ रुपये के फिक्स डिपॉजिट और बैंक बैलेंस शामिल हैं. ईडी ने दावा किया कि अमटेक की सभी संपत्तियां अपराध से अर्जित प्रत्यक्ष आय हैं और इन्हें अरविंद धाम की ओर से लाभकारी रूप से संचालित कंपनियों या उन बैंकरों के माध्यम से रखा गया था, जिन्होंने कर्ज मंजूर किए थे.
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