एम्प्लॉयमेंट लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम को सरकार की मंजूरी:इसमें नए फ्रेशर्स को नौकरी देने पर कंपनी और कर्मचारी दोनों को मिलेगी आर्थिक मदद

by Carbonmedia
()

सरकार एम्प्लॉयमेंट लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम यानी ELI शुरू करने जा रही है। भारत सरकार ने 23 जुलाई 2024 को यूनियन बजट 2024-25 में इस स्कीम की घोषणा की थी और इसे आज यानी 1 जुलाई को कैबिनेट ने मंजूरी दी है। इसके तहत नए लोगों यानी फ्रेशर्स को नौकरी देने पर सरकार कंपनी को आर्थिक मदद (इंसेंटिव) देगी। सवाल 1: ये ELI स्कीम क्या है? जवाब: एम्प्लॉयमेंट लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम का मतलब है कि सरकार उन कंपनियों और बिजनेस को पैसे देगी, जो ज्यादा से ज्यादा लोगों को नौकरी देंगी। ये एक तरह का इनाम (इंसेंटिव) है, जो कंपनियों को नए लोगों को काम पर रखने और उन्हें स्किल्ड बनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा। ये स्कीम खास तौर पर युवाओं, छोटे-मझोले उद्यमों (MSMEs), और अलग-अलग सेक्टर्स जैसे मैन्युफैक्चरिंग, सर्विसेज और टेक्नोलॉजी में नौकरियां बढ़ाने पर फोकस करती है। ये स्कीम 1 अगस्त 2025 से 31 जुलाई 2027 तक चलेगी। इससे दो साल में 3.5 करोड़ से ज्यादा नौकरियां पैदा करने का प्लान है। सवाल 2: ये स्कीम कैसे काम करेगी? जवाब: ये स्कीम दो हिस्सों में बंटी है: पार्ट A नए नौकरी करने वालों के लिए और पार्ट B नौकरी देने वाली कंपनियों के लिए। आइए, इसे आसान और बोलचाल की भाषा में समझते हैं। पार्ट A: पहली बार नौकरी करने वालों को मदद ये हिस्सा उन लोगों के लिए है, जो पहली बार नौकरी शुरू कर रहे हैं और EPFO में रजिस्टर्ड हैं। ऐसे कर्मचारियों को पहले महीने की सैलरी (अधिकतम 15,000 रुपए) दो हिस्सों में दी जाएगी। ये फायदा उन कर्मचारियों को मिलेगा, जिनकी सैलरी 1 लाख रुपए तक है। पहली किश्त 6 महीने नौकरी करने के बाद और दूसरी किश्त 12 महीने नौकरी करने और फाइनेंशियल लिटरेसी प्रोग्राम पूरा करने के बाद मिलेगी। बचत की आदत को बढ़ाने के लिए, इस इंसेंटिव का कुछ हिस्सा एक सेविंग्स अकाउंट या डिपॉजिट में रखा जाएगा, जिसे कर्मचारी बाद में निकाल सकते हैं। इस हिस्से से करीब 1.92 करोड़ नए कर्मचारियों को फायदा होगा। पार्ट B: नौकरी देने वाली कंपनियों को सपोर्ट ये हिस्सा हर सेक्टर में ज्यादा नौकरियां पैदा करने पर फोकस करता है, खासकर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर। जिन कर्मचारियों की सैलरी 1 लाख रुपए तक है, उनके लिए कंपनियों को इंसेंटिव मिलेगा। सरकार कंपनियों को प्रति कर्मचारी 3,000 रुपए प्रति महीना दो साल तक देगी, बशर्ते कर्मचारी कम से कम 6 महीने तक नौकरी में रहे। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए ये इंसेंटिव तीसरे और चौथे साल तक भी मिलेगा। इसकी कुछ शर्तें भी है। EPFO में रजिस्टर्ड कंपनियों को कम से कम 2 नए कर्मचारी (50 से कम कर्मचारियों वाली कंपनियों के लिए) या 5 नए कर्मचारी (50 या ज्यादा कर्मचारियों वाली) 6 महीने तक काम पर रखने होंगे। कुल मिलाकर: ये स्कीम नए लोगों को नौकरी शुरू करने और कंपनियों को ज्यादा लोगों को काम देने के लिए प्रोत्साहित करेगी, जिससे देश में नौकरियां बढ़ेंगी और अर्थव्यवस्था को बूस्ट मिलेगा। इंसेंटिव का स्ट्रक्चर इस तरह होगा: पार्ट A के तहत पहली बार नौकरी करने वालों को सारी रकम डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के जरिए दी जाएगी, जिसमें आधार ब्रिज पेमेंट सिस्टम (ABPS) का इस्तेमाल होगा। पार्ट B के तहत नौकरी देने वाली कंपनियों को पेमेंट सीधे उनके पैन से लिंक किए गए बैंक अकाउंट में किए जाएंगे। सवाल 3: इस स्कीम का मकसद क्या है?
जवाब: इसका मकसद है भारत में ज्यादा से ज्यादा नौकरियां पैदा करना, खासकर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में। साथ ही, ये स्कीम “मेक इन इंडिया” को बढ़ावा देगी, लोगों की स्किल्स को बेहतर करेगी और उन्हें सामाजिक सुरक्षा (जैसे पेंशन, इंश्योरेंस) देगी।

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating / 5. Vote count:

No votes so far! Be the first to rate this post.

Related Articles

Leave a Comment