एसटीएफ ने मेरठ में पकड़ा कार लोन फ्रॉड गिरोह का सरगना, बरामद हुए लग्जरी वाहन और फर्जी दस्तावेज

by Carbonmedia
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UP News: उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने मेरठ के भावनपुर इलाके से एक बड़े कार लोन फ्रॉड गिरोह के सरगना को गिरफ्तार कर लिया. यह गिरोह बैंकों से गाड़ी खरीदने के नाम पर लोन लेता था और फिर गाड़ियों को भारी मुनाफे पर बेचकर फरार हो जाता था. गिरफ्तार आरोपी का नाम अनंगपाल नागर है, जो मेरठ के किठौर थाना क्षेत्र के छुछाई गांव का रहने वाला है. 


एसटीएफ ने आरोपी के पास से सात आधार कार्ड, पांच एटीएम कार्ड, चार पैन कार्ड, पांच चेक बुक, एक पासबुक, एक व्यवसाय प्रमाण पत्र के साथ दो लग्जरी गाड़ियां बरामद की हैं. बरामद वाहनों में एक फॉर्च्यूनर (UP-15 EU 7979) और एक स्कॉर्पियो (UP-15 EQ 9649) शामिल है.


एसटीएफ को काफी समय से जानकारी मिल रही थी कि यह गिरोह अलग-अलग बैंकों से फर्जी पते दिखाकर महंगी गाड़ियों का फाइनेंस करवाता है. इसके बाद आरोपी अपना पता आधार कार्ड में बदल देता है, ताकि किस्तें न देनी पड़े. 


कुछ महीनों बाद आरोपी गाड़ियों को ऊंचे दामों में बेचकर भाग जाता था. एसटीएफ मेरठ के अपर पुलिस अधीक्षक बृजेश कुमार सिंह के निर्देशन में इस गिरोह की तलाश कर रही थी. मंगलवार को मुखबिर से सूचना मिली कि अनंगपाल नागर कृष्णा पब्लिक स्कूल के पास आने वाला है. एसटीएफ ने उसे गिरफ्तार कर लिया.


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पूछताछ में सामने आया कि अनंगपाल नागर ने अपनी महिला मित्र के नाम पर प्रीति डेयरी नाम से फर्जी उद्यम प्रमाण पत्र बनवाया. आरोपी ने अपने साथियों के नाम पर बैंकों से गाड़ी फाइनेंस करवाई और गाड़ियों को बेचने का धंधा शुरू कर दिया.


 उसने अपनी महिला मित्र के नाम पर स्कॉर्पियो गाड़ी का भी फाइनेंस करवाया, जिसमें उसके पति का नाम और पता भी गलत था. बाद में इस गाड़ी को 11 लाख रुपये में मोहित सिवाच नामक व्यक्ति को गिरवी रख दिया गया. इसके अलावा, आरोपी ने टोयोटा फाइनेंस कंपनी से भी गाड़ी फाइनेंस कराई थी, जिसे प्रदीप शर्मा नामक व्यक्ति चला रहा था.


अनंगपाल नागर ने अपने गांव के साथी के नाम पर भी 40 लाख रुपये का फाइनेंस करवा कर फॉर्च्यूनर खरीदी और उसे सस्ते दाम में बेच दिया. आरोपी के खिलाफ भावनपुर थाने में विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. स्थानीय पुलिस आगे की कार्रवाई कर रही है.


बता दें कि कार लोन फ्रॉड के मामले उत्तर प्रदेश और खासकर मेरठ में लगातार बढ़ रहे हैं. बीते कुछ वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां लोग फर्जी पते और दस्तावेजों के सहारे महंगी गाड़ियां फाइनेंस कराकर बेच देते हैं.

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