‘ऑपरेशन सिंदूर’ को विफल बताने पर संजय राउत पर भड़के संजय निरुपम, ‘शरद पवार पहले ही…’

by Carbonmedia
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Sanjay Nirupam On Operation Sindoor: उद्धव ठाकरे की शिवसेना के राज्यसभा सांसद और प्रवक्ता संजय राऊत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को विफल करार दिया था. उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनकी जमकर आलोचना हुई. आज अपने दैनिक मीडिया संवाद में संजय राउत ने सफाई देते हुए कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अभी अधूरा है. राउत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना नेता और प्रवक्ता संजय निरुपम ने तीखी टिप्पणी की.


एकनाथ शिंदे गुट के नेता निरुपम ने कहा, “शरद पवार पहले ही संजय राउत को समझा चुके हैं, लेकिन अगर वह अब भी नहीं समझते तो यह उनकी बेशर्मी है. जब राष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ा अभियान चल रहा हो, तो उसमें स्थानीय राजनीति को नहीं घसीटना चाहिए. संजय राउत ने खुद कहा था कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ विफल हुआ है. अब अगर वह इससे मुकर रहे हैं, तो वह झूठ बोल रहे हैं.”


’ऑपरेशन सिंदूर’ अभी समाप्त नहीं हुआ- निरुपम


निरुपम ने कहा, “जिन आतंकियों ने हमारे लोगों को मारा, उन्हें किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा. जब आतंकी ठिकानों पर हमला किया गया, तब मारे गए 100 आतंकियों में अजहर मसूद का भाई भी शामिल था, जो संसद पर हमले में लिप्त था. एनआईए को स्पष्ट जानकारी है कि पहलगाम में कौन-कौन आतंकी मौजूद थे. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अभी समाप्त नहीं हुआ है, यह जारी रहेगा. अगर पाकिस्तान सुधरता नहीं है, तो यह अभियान तब तक चलता रहेगा जब तक वह आतंकियों को हमारे हवाले नहीं करता. ऐसे अभियान को विफल बताना निंदनीय है.”


पहलगाम में सुरक्षा व्यवस्था में कुछ चूक हुई- निरुपम


संजय निरुपम ने यह भी स्वीकार किया कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले में सुरक्षा व्यवस्था में कुछ चूक हुई. उन्होंने कहा, “हमारी सुरक्षा एजेंसियां भी इंसान हैं, उनसे छोटी-मोटी गलतियां हो सकती हैं. हमारे जवान आए दिन शहीद होते हैं. अगर कोई आतंकी घुसपैठ कर लेता है, तो इसका यह मतलब नहीं कि पूरी व्यवस्था विफल है या गृहमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए. आतंकवाद और नक्सलवाद के खिलाफ एक व्यापक अभियान चल रहा है.”


बीएमसी चुनावों पर क्या है रणनीति?


आगामी मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनावों के संदर्भ में संजय निरुपम ने कहा, “महायुति के तीनों घटक दल मिलकर चुनाव लड़ेंगे. इसके बाद सीटों के बंटवारे पर चर्चा होगी. हमारा मानना है कि मुंबई में जो सीटें पहले हमारे पास थीं, वे हमें ही मिलनी चाहिए. 70-80% लोग उद्धव बालासाहेब ठाकरे (UBT) गुट को छोड़कर हमारे साथ आ चुके हैं. यही फॉर्मूला विधानसभा चुनावों में भी अपनाया गया था. हमारा मानना है कि बीजेपी को शिवसेना की पारंपरिक सीटें छोड़ देनी चाहिए, ताकि हम मिलकर UBT के भ्रष्टाचार को उजागर कर सकें और उन्हें सत्ता से दूर रख सकें.”


 

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