ऑल पार्टी डेलिगेशन: गुलाम नबी आजाद की पहली प्रतिक्रिया, पाकिस्तान का जिक्र कर बोले, ‘जम्मू-कश्मीर तो…’

by Carbonmedia
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आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को बेनकाब करने वाले ऑल पार्टी डेलिगेशन का हिस्सा गुलाम नबी आजाद की प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने कहा कि दुनिया को मालूम होना चाहिए कि पाकिस्तान कैसे आतंकवाद को पनाह, पैसा और ट्रेनिंग देता है.


पाकिस्तान को एक्सपोज करना चाहिए- गुलाम नबी आजाद


DPAP के अध्यक्ष और जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम आजाद ने कहा, “सभी डेलिगेशन ग्रुप्स की जिम्मेदारी है कि पाकिस्तान को अलग-थलग करें. ये बात तो सच है. कोई झूठ तो बोलना नहीं है. जम्मू-कश्मीर की आवाम उनको (आतंकियों) 75 सालों से झेल रहे हैं, सुनते और देखते आए हैं. देश ने भी झेला है. लेकिन जम्मू-कश्मीर तो हर हफ्ते झेलता रहता है. उनको (पाकिस्तान) एक्सपोज करना चाहिए.”


’पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद किया जा रहा है'


आपका क्या मैसेज रहेगा, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “इतने सालों से, इतने दशकों से जम्मू-कश्मीर और देश के दूसरे हिस्सों में पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद किया जा रहा है, किस तरह से आतंकवादियों को बचाया जाता है, पनाह दी जाती है, ट्रेनिंग दिए जाते हैं, पैसा दिया जाता है, उनको भेजा जाता है तो ये तो दुनिया को भी मालूम होना चाहिए.” 



VIDEO | Here’s what DPAP Chairman Ghulam Nabi Azad speaks after briefing by Foreign Secretary Vikram Misri to four all-party delegation travelling to several countries as part of India’s diplomatic effort to combat cross-border terrorism from Pakistan:

”The responsibility lies… pic.twitter.com/d0mAybkM8f


— Press Trust of India (@PTI_News) May 23, 2025




गुलाम नबी आजाद के साथ डेलिगेशन में कौन-कौन?


गुलाम नबी आजाद जिस डेलीगेशन का हिस्सा हैं उसमें उन्हें मिलाकर कुल आठ लोग शामिल हैं. इस ग्रुप का नेतृ्त्व बीजेपी के सांसद बैजयंत पांडा हैं. इसके अलावा इस ग्रुप में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे, बीजेपी सांसद फांगनोन कोन्याक, बीजेपी सांसद रेखा शर्मा, AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी, सांसद सतनाम सिंह संधू और हर्ष श्रृंगला शामिल हैं. ये डेलीगेशन सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन और अल्जीरिया जाएगा.


विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने विदेश जाने वाले चार डेलिगेशन ग्रुप्स को शुक्रवार (23 मई) को जानकारी दी. पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत ने अलग-अलग देशों में डेलिगेशन भेजने का फैसला किया. 

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