भारत और अमेरिका की साझा कोशिश से बना सैटेलाइट NISAR हाल ही में सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ. इसरो ने एक बार फिर से दुनिया को दिखा दिया कि भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है. अब ISRO यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के पास कुछ ऐसे बड़े मिशन हैं जो आने वाले सालों में विज्ञान, मौसम, समुद्री निगरानी और सुरक्षा जैसे अहम क्षेत्रों में बड़ी भूमिका निभाने वाले हैं.
देश की संसद में मानसून सत्र के दौरान केंद्र सरकार ने इसरो के आगामी मिशनों की जानकारी दी. सरकार ने जानकारी देते हुए कहा कि इसरो के मिशन Oceansat-3A की बात करें तो ये सैटेलाइट समंदरों के रंग, सतह के तापमान और हवा की दिशा जैसी जानकारियां देगा. इससे मछली पालन समुदाय को फायदा होगा, साथ ही मौसम की भविष्यवाणी भी और ज्यादा सटीक की जा सकेगी.
इसके बाद है NVS-03, जो भारत के अपने नेविगेशन सिस्टम NavIC का हिस्सा है. इसका मकसद भारत को अमेरिका के GPS जैसी सेवा में आत्मनिर्भर बनाना है, जिससे सेना और नागरिक दोनों को सटीक दिशा-जानकारी मिल सकेगी.
तकनीकों की टेस्टिंग के लिए TDS-01 और सुरक्षा के लिए GSAT-7R सैटेलाइट बना रहा इसरो
वहीं, ISRO एक और खास मिशन पर भी काम कर रहा है, जिसका नाम TDS-01 है. यह नई तकनीकों की टेस्टिंग के लिए बनाया गया है. इसमें इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन और क्वांटम कम्युनिकेशन जैसी एडवांस टेक्नोलॉजी की झलक देखने को मिलेगी, जो भविष्य के स्पेस मिशनों की नींव रखेगी.
जबकि सुरक्षा के लिहाज से GSAT-7R सैटेलाइट भी तैयार हो रहा है, जो खासतौर पर भारतीय नौसेना के लिए बनेगा. इससे समुद्र में निगरानी और कम्युनिकेशन और मजबूत होंगे.
चांद के दक्षिणी ध्रूव पर पानी की तलाश करेगा चंद्रयान-5
इसके साथ, ISRO जापान की स्पेस एजेंसी JAXA के साथ मिलकर चंद्रमा पर भेजे जाने वाले मिशन LuPEX/Chandrayaan-5 पर भी काम कर रहा है, जो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पानी और संसाधनों की खोज करेगा.
एक और बड़ा कदम है G20 सैटेलाइट मिशन, जो पर्यावरण और जलवायु बदलावों पर नजर रखने के लिए बनाया जा रहा है. यह मिशन दुनिया के कई देशों के सहयोग से चलेगा और इसमें साझा उपकरण होंगे — यानी इसे एक ग्लोबल टीमवर्क कहा जा सकता है.
रूस और स्वीडन के साथ मिलकर शुक्र ग्रह के लिए ऑर्बिटर तैयार कर रहा इसरो
इतना ही नहीं, ISRO रूस और स्वीडन के साथ मिलकर शुक्र ग्रह Venus के लिए एक ऑर्बिटर मिशन भी तैयार कर रहा है. साथ ही, भारत के अपने स्पेस साइंस इंस्टिट्यूट IIST के जरिए दुनियाभर की यूनिवर्सिटियों से स्टूडेंट और रिसर्च एक्सचेंज प्रोग्राम भी चल रहे हैं. इन सभी मिशनों का असर सिर्फ अंतरिक्ष तक सीमित नहीं है. ISRO की सैटेलाइट टेक्नोलॉजी की मदद से भारत में खेती, मौसम पूर्वानुमान और आपदा प्रबंधन जैसे कई जरूरी कामों में मदद मिल रही है.
किसानों और IMD को मिल रही मौसम की सटीक जानकारी
किसान अब सैटेलाइट से मिले आंकड़ों की मदद से ये जान सकते हैं कि किस खेत में कितना पानी देना है, कब बुआई करनी है और कब कौन सी फसल उगाई जा सकती है. मौसम विभाग भी सटीक भविष्यवाणी कर पा रहा है, जिससे तूफान, बाढ़ और भूकंप जैसे खतरों से पहले से तैयारी की जा सके.
NISAR की कामयाबी के बाद ISRO की अगली उड़ानें सिर्फ अंतरिक्ष में नहीं, बल्कि धरती पर आम लोगों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में भी एक मजबूत कदम हैं. आने वाले महीनों में ये मिशन न सिर्फ भारत को, बल्कि पूरी दुनिया को चौंका सकते हैं.
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