लुधियाना| ओशो लुधियाना मेडिटेशन सोसायटी की ओर से गुरु पूर्णिमा महोत्सव श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर ओशो संन्यासियों ने ओशो के चित्र पर माल्यार्पण कर गुरु के प्रति आभार प्रकट किया। समारोह में स्वामी ध्यान सुमित ने ओशो के जीवन दर्शन और गुरु-शिष्य परंपरा पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गुरु पूर्णिमा शिष्य के भीतर प्रेम, कृतज्ञता और आंतरिक प्रकाश जगाने का पर्व है। गुरु का कार्य शिष्य के भीतर छिपे बीज को पौधे में परिवर्तित करना है। स्वामी ध्यान सुमित ने कहा कि गुरु-शिष्य का संबंध फूल और बीज की तरह है। शिष्य को चाहिए कि वह गुरु के वचनों को तर्क से परे जाकर हृदय में उतारे और उन पर धैर्यपूर्वक अमल करे। यही प्रक्रिया उसे आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाती है। उन्होंने गुरु पूर्णिमा को सनातन संस्कृति का ऐसा पर्व बताया, जो आत्मिक विकास का मार्ग प्रशस्त करता है। समारोह में ध्यान, डायनामिक ध्यान, कुंडली जागरण और तंत्र चक्र की विधियों के जरिए साधकों को आंतरिक यात्रा का अनुभव कराया गया। कार्यक्रम में दीक्षा गुडवानी, सोनू आहूजा, डॉ. चमकौर सिंह, जसविंदर कौर, सौरव आहूजा, संतोष जिंदल, केवल बांसल, रविंद्र, आकाश, मिलनप्रीत सिंह, प्रभजोत सिंह, अवतार सिंह, राजेश और अकाश समेत अनेक अनुयायी मौजूद रहे।
ओशो संन्यासियों ने कहा- गुरु बीज को पौधा बनाने वाले होते हैं
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