कई दोस्त अब नहीं रहें, डायरेक्टर अनुराग बसु ने कहा:‘मेट्रो इन दिनों’ में इरफान को कास्ट करता, कोंकणा सेन ने बताया क्यों हिट हुआ था पहला पार्ट

by Carbonmedia
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डायरेक्टर अनुराग बसु की अपकमिंग फिल्म ‘मेट्रो इन दिनों’ 4 जुलाई को रिलीज होने जा रही है। यह फिल्म 2007 में रिलीज ‘लाइफ इन अ मेट्रो’ की सीक्वल है। ‘मेट्रो इन दिनों’ उन असली भावनाओं और रिश्तों की कहानी है, जिन्हें हम अपनी निजी जिंदगी में जीते हैं। हाल ही में इस फिल्म को लेकर डायरेक्टर अनुराग बसु और एक्ट्रेस कोंकणा सेन शर्मा ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की। अनुराग बसु ने दिवंगत अभिनेता इरफान खान को याद करते हुए कहा कि कई दोस्त जो दिल के करीब थे। अब नहीं रहे, इरफान खान होते तो उन्हें ‘मेट्रो इन दिनों’ में कास्ट करता । पेश है अनुराग और कोंकणा से हुई बातचीत के कुछ और खास अंश… सवाल- आपके लिए ‘मेट्रो इन दिनों’ क्या है? जवाब/अनुराग बसु- यह फिल्म सारी इमोशन का एक गुलदस्ता है। इस फिल्म में कई रंग देखने को मिलेंगे। यह फिल्म मेरे लिए एक खुशका है। इस शब्द को खास इस फिल्म के लिए ढूंढा है। इसका मतलब एक ऐसा इमोशन होता है। जो एक साथ खुशी और गुस्सा दोनों को बयां करें। इस फिल्म को सही तरीके से परिभाषित करने के लिए खुशका एक बेहतरीन शब्द है। सवाल- फिल्म ‘लाइफ इन अ मेट्रो’ में आपने बहुत ही कमाल का काम किया था, आज भी आपके किरदार जेहन में आते हैं? जवाब/कोंकणा सेन शर्मा- उसकी वजह फिल्म का म्यूजिक, इरफान खान का साथ और अनुराग बसु का कमाल का डायरेक्शन था। उस समय हमें लगा ही नहीं था कि काम कर रहे हैं। बहुत ही रिलैक्स माहौल में काम कर रहे थे। बिल्कुल घर जैसा माहौल था। सवाल- पिछली बार की तुलना में इस बार किरदार कितना अलग है? जवाब/कोंकणा सेन शर्मा- पिछले वाला मुझे ज्यादा याद नहीं है। इस बार मुझे सबसे अच्छी बात यह लगी कि अनुराग ने चार कपल के माध्यम से प्रेम को एक अलग तरह से एक्सप्लोर करने की कोशिश की है। इसमें सबसे अच्छी बात बताई गई है कि शादी होने के बाद बोरिंग लाइफ से कैसे डील करें। सवाल- आपकी फिल्म में शहर, ट्रेन, खाना, इश्क का अधूरापन और म्यूजिक का जबरदस्त समावेश होता है। यह सब कहां से ढूंढ कर लाते हैं? जवाब/अनुराग बसु- यह कहना बड़ा मुश्किल है कि कहां से यह सब आता है। हां इतना जरूर कहूंगा कि पेरेंट्स ने बचपन में जिस तरह की चीजें दिखाई और शिक्षा दी, कहीं ना कहीं उसी का असर है। मेरे पेरेंट्स थिएटर आर्टिस्ट थे। पापा के ज्यादातर नाटक म्यूजिकल होते थे। मुझे लगता है कि उसका प्रभाव रहा है। हमारी कहानियों में म्यूजिक का हिस्सा बहुत पुराना है। यह हमारे डीएनए में ऐसा रच बस गया है कि जब कहानियां लिखता हूं तब वो बाहर निकलता रहता है। सवाल- आपकी फिल्में हिट हो सुपर हिट हों या फिर उम्मीदों पर उतनी खरी ना उतरे, लेकिन म्यूजिक में हमेशा ताजगी बनी रहती है। वो शायद इसलिए है कि आपकी परवरिश उस माहौल में हुई है? जवाब/अनुराग बसु- इसके अलावा मेरे साथ जो म्यूजिक डायरेक्टर काम करते हैं। वो अच्छी तरह से समझते हैं कि मैं क्या चाहता हूं। वैसे मैंने ज्यादातर प्रीतम के साथ काम किया है। वो मुझे अच्छी तरह से समझते हैं। उन्हें पता है कि मुझे क्या चाहिए। पहले हमारे पास 3-4 ऑप्शन होते थे,जिसमें से हम चुनते थे, लेकिन अभी तो सिर्फ एक ही गाना पर ध्यान रहता कि बस यही करना है। सवाल- फिल्म की कहानी में जिंदगी और रिश्तों के उतार-चढ़ाव दिखाए गए हैं। कहा जाता है कि जिसको याद करते हैं, उसे कभी भुलाया नहीं जाता। कभी आपके साथ ऐसा हुआ है, जिसे भूल ना पाए हों? जवाब/अनुराग बसु- मेरी जिंदगी में कई लोग हैं। जिनको मैं कभी नहीं भूल पाया। ऐसा लोगों को लगता है कि वक्त के साथ सब धूमिल हो जाएगा, लेकिन मुझे डर लगा रहता है कि वक्त के साथ उनको ना भूलूं। ऐसे कई दोस्त हैं, जो अभी नहीं है। चाहे वो इरफान खान हो या सिंगर केके। मैं चाहता हूं कि उनकी यादें हमेशा तरोताजा पूरी उम्र रहे। सवाल- कहा जाता है कि पंकज त्रिपाठी ने फिल्म में ‘लाइफ इन अ मेट्रो’ का इरफान खान वाला अवतार बहुत अच्छे से आत्मसात किया है? जवाब/अनुराग बसु- ऐसा नहीं है। पंकज त्रिपाठी की अलग खूबियां हैं। हो सकता था कि ‘लाइफ इन अ मेट्रो’ में पंकज को इरफान खान वाले किरदार में नहीं कास्ट करता। यह भी हो सकता था कि पंकज त्रिपाठी ने ‘मेट्रो इन दिनों’ में जो किरदार निभाया है। इसमें इरफान को कास्ट करता। सवाल- हार्टब्रेक सबकी लाइफ में हुआ है। आपकी भी लाइफ में हुआ होगा, उससे कैसे डील किया? जवाब/अनुराग बसु- इस बात को हुए 20-22 साल हो गए। अब तो याद भी नहीं कि कैसे डील किया था।

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