कपूरथला में रेल कोच फैक्ट्री में सामग्री की कमी:आरसीएफ यूनियन ने प्रशासन पर लगाए आरोप, बोले-निजीकरण की राह आसान करने की तैयारी

by Carbonmedia
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कपूरथला स्थित एशिया की सबसे बड़ी रेल कोच फैक्ट्री में सामग्री की कमी से उत्पादन प्रभावित हो रहा है। आरसीएफ एम्पलाइज यूनियन ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। यूनियन का कहना है कि फैक्ट्री में कोच निर्माण के लिए जरूरी बुनियादी सामग्री तक उपलब्ध नहीं है। यूनियन ने 28 जून को प्रधान मुख्य यांत्रिक इंजीनियर को पत्र लिखा। पत्र में बताया गया है कि एयर ब्रेक की सिंगल फेरूल फिटिंग, एल3टी और एल2टी की सीलिंग, सीट और बर्थ की कमी है। एल3टी के पार्टिशन पिलर भी उपलब्ध नहीं हैं। इन सामानों के बिना कोच का निर्माण पूरा नहीं हो सकता। आपूर्तिकर्ता फर्मों की देरी से बनी स्थिति आरसीएफ के सीपीआरओ अनुज कुमार ने स्थिति पर स्पष्टीकरण दिया है। उन्होंने कहा कि आपूर्तिकर्ता फर्मों की देरी से यह स्थिति बनी है। फर्मों से नियमित संपर्क किया जा रहा है। उन्होंने जल्द आपूर्ति का आश्वासन दिया है। इस बीच फैक्ट्री में अन्य कोच वैरिएंट का निर्माण किया जा रहा है। यूनियन के अध्यक्ष अमरीक सिंह ने कहा कि 3000 कोच के वार्षिक उत्पादन लक्ष्य को प्राप्त करना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति फैक्ट्री के गौरवशाली इतिहास के साथ न्याय नहीं है। यूनियन ने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। प्रशासन फैक्ट्री को वित्तीय संकट में धकेल रहा उन्होंने आगे कहा, “प्रशासन की यह निष्क्रियता न केवल उत्पादन को पटरी से उतार रही है, बल्कि हमारे मेहनतकश कर्मचारियों के मनोबल को भी कुचल रही है। क्या प्रशासन जानबूझकर फैक्ट्री को वित्तीय संकट में धकेल रहा है ताकि निजीकरण की राह आसान हो सके ? आरसीएफ प्रशासन पर यह गंभीर आरोप यूनियन ने आरसीएफ प्रशासन पर यह गंभीर आरोप लगाया है कि यह स्थिति केवल लापरवाही नहीं, बल्कि उदासीनता की पराकाष्ठा है। यह समझ से परे है कि एक प्रतिष्ठित सरकारी इकाई, जिसकी देश के परिवहन क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका है, ऐसी बुनियादी समस्याओं से क्यों जूझ रही है। यूनियन ने चेतावनी दी है कि यदि इस ‘सामग्री के अकाल’ को तत्काल समाप्त नहीं किया गया, तो कर्मचारियों को मिलने वाले प्रोत्साहन भत्तों में कटौती होगी, जिससे हजारों परिवारों पर सीधा आर्थिक बोझ पड़ेगा। आवश्यक सामग्रियों का प्रबंध करने की मांग यूनियन ने कहा है कि 3000 कोच के वार्षिक लक्ष्य को हासिल करने के लिए तुरंत युद्धस्तर पर आवश्यक सामग्रियों का प्रबंध किया जाए। यूनियन का मानना है कि यह स्थिति न केवल आरसीएफ की छवि को धूमिल कर रही है, बल्कि भारतीय रेलवे की आत्मनिर्भरता पर भी एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगा रही है। यह समय है कि प्रशासन ‘जागे’ और कर्मचारियों की आवाज़ सुने। यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो आरसीएफ एम्पलाइज यूनियन अपने कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है!

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