हरियाणा के हिसार जिले के गांव बालसमंद में गली-गली जाकर कबाड़ खरीदने वाले राजेश की बेटी सिमरण माइक्रोसाफ्ट कंपनी में इंजीनियर बनी है। सिमरण की उम्र महज 17 साल की है। 17 साल की उम्र में अपने पहले प्रयास में भारत की सबसे कठिन परीक्षा JEE की परीक्षा पास की। इसके बाद IIT मंडी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर्स में एडमिशन लिया, मगर सिमरण की रुचि IT (information technology) में थी और सपना था माइक्रोसॉफ्ट में काम करना तो अपने सपने पूरे करने के लिए एडिशनल कंप्यूटर साइंस की भी पढ़ाई की। अपनी कठिन मेहनत के दम पर माइक्रोसॉफ्ट हैदराबाद में इंटर्नशिप के लिए चयनित हुई और 2 माह की इंटर्नशिप के बाद 300 बच्चों में बेस्ट इंटर्नशिप स्टूडेंट का अवॉर्ड माइक्रोसॉफ्ट की अमेरिका की ओवरसीज हेड से प्राप्त किया। ओवरसीज हेड स्पेशल सिमरन से मिलने अमेरिका से भारत पहली बार आई। फाइनल सिलेक्शन में सिमरन ने टॉप लिस्ट में अपना नाम दर्ज करवाया। कबाड़ी राजेश के 4 बच्चे हैं, इसमें 3 लड़कियां और 1 लड़का है। सिमरण परिवार में सबसे बड़ी है। माता-पिता बोले-बेटी ने हमारी जिंदगी बदल दी सिमरन के पिता राजेश कुमार ने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया कि सिमरन ने शुरुआत पढ़ाई पास में ही कैंब्रिज स्कूल से की है। इसके बाद उसने 2021 में JEE एडवांस का पेपर दिया और उसे क्वालिफाई किया। राजेश कुमार ने कहा कि सिमरन घर में सबसे बड़ी है। उसकी ममता और मुस्कान दो बहनें और हैं। इसके अलावा सबसे छोटा बेटा हर्षित है। राजेश ने बताया कि मैं स्ट्रीट वेंडर हूं। मैं बेटी की सफलता के लिए माता रानी का शुक्रिया अदा करता हूं जो इस स्थान तक उन्होंने पहुंचाया। सिमरन की मां कविता ने बताया कि मैंने 12वीं तक पढ़ाई की है। मैंने बेटी से कभी घर का काम नहीं करवाया और उसे सातवीं कक्षा तक खुद ही घर पढ़ाया है। दो कमरों का है घर, 300 से 500 रुपए कमाई राजेश कुमार ने बताया कि वह गली-गली जाकर कबाड़ एकत्रित करते हैं और बदले में बर्तन देते हैं। राजेश ने बताया कि वह रोजाना इतना कमाते हैं कि दिहाड़ी निकल जाती है। कभी 300 तो कभी 500 रुपए रोजाना कमा लेते हैं। कई बार इससे ज्यादा भी हो जाता है मगर औसतन वह इतना ही कमाते हैं। राजेश ने बताया कि बेटी होनहार है तो उसने खुद ही मेहनत की और आगे बढ़ी। राजेश का घर 2 कमरों का बना हुआ है। घर में खिड़कियों में शीशे तक नहीं लगे हुए हैं। 2 कमरों में ही पूरा परिवार रहता है। राजेश ने बताया कि अब दोनों छोटी बेटियां हिसार पढ़ रही है।
कबाड़ इकट्ठा करने वाले की बेटी बनी इंजीनियर:अमेरिकी माइक्रोसॉफ्ट कंपनी में 55 लाख सालाना पैकेज की नौकरी लगी, फाइनल सिलेक्शन में टॉप रही
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