करनाल के थानों में बच्चों के लिए जरूरी चाइल्ड फ्रेंडली रूम तक नहीं हैं। यह खुलासा तब हुआ जब स्टेट कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स की टीम ने शुक्रवार को महिला थाना और सिविल लाइन थाना का औचक निरीक्षण किया। टीम ने पाया कि किसी भी थाने में न तो चाइल्ड फ्रेंडली रूम बना है और न ही बच्चों के लिए कोई विशेष सुविधा मौजूद है। टीम ने इसे जेजे एक्ट और स्टेट गाइडलाइंस का उल्लंघन माना और थानों को एक सप्ताह के भीतर यह रूम तैयार कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। निरीक्षण के दौरान टीम में कौन-कौन था शामिल
शुक्रवार को निरीक्षण के दौरान स्टेट कमीशन के सदस्य डॉ. मांगेराम शर्मा, डॉ. मीना शर्मा, डीसीपीओ रीना रानी और सीडब्ल्यूसी चेयरमैन उमेश कुमार चानना मौजूद रहे। सभी ने मिलकर करनाल महिला थाना और सिविल लाइन थाना का निरीक्षण किया।
स्टेट कमीशन के सदस्य डॉ. मांगेराम शर्मा और उमेश कुमार चानना ने बताया कि गाइडलाइंस के अनुसार हर थाने में चाइल्ड फ्रेंडली रूम अनिवार्य है, लेकिन करनाल के थानों में यह व्यवस्था कहीं नहीं दिखी। यह सही नहीं है क्योंकि यदि किसी केस में बच्चा अभिभावकों के साथ थाने पहुंचता है, तो वहां पुलिस का माहौल देखकर घबरा सकता है। इसलिए जरूरी है चाइल्ड फ्रेंडली रूम
कमीशन के अनुसार थानों में ऐसा रूम इसलिए जरूरी है ताकि बच्चों को थाने के माहौल से डर न लगे। चाइल्ड फ्रेंडली रूम में सादे कपड़ों में स्पेशल जुवेनाइल पुलिस यूनिट (एसएपीयू) का स्टाफ मौजूद रहेगा। कमरे में बच्चों के खेलने के लिए खिलौने और दीवारों पर रंग-बिरंगी पेंटिंग होंगी, जिससे बच्चे को यह महसूस न हो कि वह पुलिस थाने में है। यह बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से भी जरूरी है। सभी थानों को दिए गए निर्देश, एक सप्ताह की डेडलाइन
स्टेट कमीशन ने करनाल जिले के सभी पुलिस थानों को चाइल्ड फ्रेंडली रूम बनाने के निर्देश जारी कर दिए हैं। उन्हें एक सप्ताह के भीतर यह रूम तैयार करके अपनी रिपोर्ट सबमिट करनी होगी। यह रिपोर्ट संबंधित विभाग को भेजी जाएगी, ताकि अगली कार्रवाई की जा सके।
करनाल के थानों में नहीं मिले चाइल्ड फ्रेंडली रूम:स्टेट कमीशन की टीम ने जताई नाराजगी, औचक निरीक्षण के दौरान सामने आई कमी, एक हफ्ते में रिपोर्ट मांगी
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