करनाल के शिव कुमार ने प्राकृतिक खेती अपनाई:औषधीय पौधों से तैयार करते हैं खाद, साल में 4 से 5 लाख का मुनाफा ले रहे

by Carbonmedia
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करनाल के टिकरी निवासी शिव कुमार पांचाल ने 30 एकड़ में धान, गेहूं व गन्ने की रासायनिक खाद, कीटनाशकों के जरिए की जाने वाली खेती छोड़ प्राकृतिक खेती की तरफ कदम बढ़ाया। 2 साल यूट्यूब से जानकारी ली, पर कुछ खास नहीं कर पाए। इसके बाद करनाल के उचानी में महाराणा प्रताप राष्ट्रीय बागवानी विश्वविद्यालय से ट्रेनिंग ली। साथ ही कृषि विज्ञान केंद्र राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान से भी प्रशिक्षण लिया। अब पांच साल से प्रगतिशील किसान के तौर पर 1 एकड़ में प्राकृतिक खेती से एकसाथ 10 से 12 फलों व सब्जियों की पैदावार कर रहे हैं। इसमें उन्हें हर साल 4 से 5 लाख रुपए का मुनाफा हो रहा है। दरअसल, शिव कुमार के बड़े भाई जय नारायण को कैंसर हो गया था। डॉक्टर ने कहा कि खान-पान का असर है। खेती में अत्यधिक रासायनिक खाद व दवाओं का प्रयोग हो रहा है। इसके बाद शिवकुमार ने प्राकृतिक खेती करने की ठानी। आज उनकी अधिकतर उपज की शहर के सेक्टरों में खपत है। शिव कुमार का कहना है कि छोटी जोत के किसान प्राकृतिक खेती से कम संसाधनों में अच्छी आमदनी ले सकते हैं। जीवामृत व घन जीवामृत का प्रयोग शिव कुमार कहते हैं कि वह बाहर से किसी भी तरह की खाद नहीं डालते हैं। गुरुकुल कुरुक्षेत्र में डॉ. हरिओम से जीवामृत व घन जीवामृत की ट्रेनिंग ली थी। भूमि की उर्वरा व पौधों के पोषण के लिए उसका ही प्रयोग करते हैं। वेस्ट सब्जियों का भी खाद बनाकर प्रयोग करते हैं। साथ ही कीटों से सुरक्षा के लिए नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र, दशपरणी व अग्निास्त्र तैयार कर उसका प्रयोग करते हैं। इन सभी को तैयार करने में गाय का मूत्र, औषधीय पौधे (नीम, आक, धतूरा, डेक जैसे ऐसे पौधे जिनको देसी गाय नहीं खाती है) का इस्तेमाल करते हैं। एनडीआरआई कृषि विज्ञान केंद्र के हेड डॉ. पीके सारस्वत का कहना है शिव कुमार की प्राकृतिक खेती दूसरे किसानों के लिए अनुकरणीय है। उन्हें प्रगतिशील किसान के तौर पर 5 अवॉर्ड मिल चुके हैं। अब वे प्राकृतिक खेती के मास्टर ट्रेनर भी हैं। खेत में ट्रैक्टर का प्रयोग नहीं करते हैं। वे दरांती, कस्सी-खुरपा व पावर बिडर से निराई-गुढ़ाई व जुताई करते हैं। बीज भी खुद ही तैयार करते हैं। अपनी गाय के लिए वे नेपियर घास उगा रहे हैं। थ्री लेयर में मौसमी सब्जियों की फसल शिवकुमार का कहना है कि बांस, रस्सी व धागों के जाल का प्रयोग कर वह 1 एकड़ में कई फसलें उगाते हैं। ऊपर घीया, तोरी, नीचे हल्दी, काली हल्दी, मिर्च, धनिया, मेथी, पालक, भिंडी, अरबी, देसी टमाटर और बीच में मक्का, ग्वारफली, शकरकंद आदि फसलें उगाते हैं।

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