करनाल जिले में बाढ़ से किसानों की फसलें बर्बाद:1876 किसानों ने 15,595 एकड़ का नुकसान कराया दर्ज,अब विभाग करेगा नुकसान का आकलन

by Carbonmedia
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पिछले दिनों लगातार हुई बारिश और बाढ़ ने हरियाणा समेत पूरे उत्तर भारत के किसानों को बड़ा नुकसान पहुंचाया। करनाल जिले में भी यमुना, मारकंडा और घग्गर नदी के उफान से खेतों में पानी भर गया और धान व गन्ने की फसलें चौपट हो गईं। इसी को लेकर सरकार ने ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल खोला था। सोमवार आखिरी दिन तक करनाल जिले के 1876 किसानों ने 15,595 एकड़ फसल का नुकसान दर्ज कराया है। अब विभागीय अधिकारी मौके पर जाकर नुकसान का आंकलन करेंगे और सरकार के मानकों के आधार पर मुआवजा दिया जाएगा। करनाल, इंद्री और घरौंडा के किसान ज्यादा प्रभावित
कृषि विभाग के अधिकारियों के वजीर सिंह ने बताया कि बाढ़ से सबसे ज्यादा नुकसान करनाल जिले के इंद्री, करनाल और घरौंडा ब्लॉक के किसानों को हुआ है। इन क्षेत्रों में जमुना और उसकी सहायक नदियों का पानी खेतों में भर गया था। किसानों की धान की फसल पूरी तरह जलमग्न हो गई। गन्ने की फसल को भी भारी नुकसान पहुंचा है। धान की फसल सबसे ज्यादा चौपट
ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर जिन किसानों ने नुकसान दर्ज कराया है, उनमें से अधिकांश ने धान की फसल को प्रभावित बताया। गन्ने की फसल भी डूबने से खराब हुई है। जिला कृषि अधिकारी वजीर सिंह ने बताया कि किसानों ने पहले “मेरी फसल-मेरा ब्योरा” पोर्टल पर पंजीकरण कराया था। अब उसी आधार पर उन्होंने ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर नुकसान का ब्यौरा भरा है। पोर्टल पर आखिरी दिन तक किसानों की भागीदारी
पोर्टल पर आखिरी दिन तक किसानों ने तेजी से आवेदन भरे। कुल 1876 किसानों ने अपनी 15,595 एकड़ फसल का नुकसान दर्ज कराया। इनमें अकेले धान की फसल का हिस्सा सबसे ज्यादा है। अब विभागीय अधिकारी और कर्मचारी प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेंगे और वास्तविक नुकसान का आकलन करेंगे। इसके बाद रिपोर्ट तैयार कर सरकार को भेजी जाएगी। सरकार के मानकों के अनुसार मिलेगा मुआवजा
कृष विभाग के DDA वजीर सिंह ने बताया कि किसानों को मुआवजा सरकार द्वारा तय किए गए मानकों और मैप डंडों के आधार पर मिलेगा। बाढ़ से नुकसान झेल रहे किसानों को जल्द राहत देने के लिए प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। बाढ़ से किसानों की मुश्किलें बढ़ीं
उत्तर भारत के कई राज्यों में आई बाढ़ से हरियाणा के किसानों को भी भारी नुकसान हुआ। करनाल जिले के बाढ़ प्रभावित गांवों में अभी तक किसान खेतों से पानी निकालने में जुटे हैं। वहीं, सरकार की ओर से ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल किसानों के लिए एक राहत का जरिया साबित हुआ है। अब सभी की नजरें मुआवजे की राशि पर टिकी हुई हैं।

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