करनाल पहुंचे HSGPC के पूर्व प्रधान:बोले-मीरीपीरी कॉलेज पर अब भी निजी कब्जा, सुप्रीम कोर्ट के फैसला के बाद भी ट्रस्ट नहीं हटा

by Carbonmedia
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करनाल पहुंचे हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व प्रधान जत्थेदार बलजीत सिंह दादूवाल ने कहा कि कमेटी के नए प्रधान चुन लिए गए हैं और नई टीम ने कार्यभार संभाल लिया है। नई कमेटी न सिर्फ गुरु घरों का बेहतर प्रबंधन करेगी बल्कि धर्म प्रचार का कार्य भी तेज करेगी। उन्होंने कहा कि मीरीपीरी मेडिकल कॉलेज अभी भी निजी कब्जे में है, जबकि सुप्रीम कोर्ट इस पर हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का अधिकार स्पष्ट कर चुका है। बादल परिवार ने ट्रस्ट बनाकर किया था कब्जा
दादूवाल ने आरोप लगाया कि जब शिरोमणि कमेटी के पास प्रबंधन था, तभी बादल परिवार ने अपने नजदीकियों को बिठाकर एक निजी ट्रस्ट बनाया और कॉलेज की पूरी व्यवस्था पर कब्जा कर लिया। आज भी वही कब्जा कायम है जबकि कोर्ट का आदेश आ चुका है। उन्होंने कहा कि हरियाणा कमेटी सरकार के सहयोग से जल्द ही कॉलेज का प्रबंधन अपने हाथ में लेगी और गुरु घर को मुक्त करवाएगी। जत्थेदार कुलदीप सिंह की नियुक्ति को बताया असंवैधानिक
बाबा हरनाम सिंह के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए जत्थेदार दादूवाल ने कहा कि जत्थेदार कुलदीप सिंह की नियुक्ति पंथ की सहमति के बिना की गई थी। उन्होंने कहा कि जिस तरह से रात के अंधेरे में ताजपोशी की गई, उस पर पंथ के बड़े हिस्से ने विरोध किया था। दमदमी टकसाल ने पहले ही विरोध किया था कि ऐसे जत्थेदार को संदेश देने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि हम भी उस समय यही मानते थे और आज भी यही मानते हैं कि जत्थेदार कुलदीप सिंह की नियुक्ति गलत थी। दादूवाल ने कहा कि जिस तरह शिरोमणि कमेटी ने जत्थेदारों की नियुक्ति और सेवा मुक्त करने की प्रक्रिया अपनाई, वह पूरी तरह से सिद्धांतों के खिलाफ थी। बादल परिवार ने इस पूरे घटनाक्रम को अपने नियंत्रण में रखा, जिससे सिख पंथ की भावना को ठेस पहुंची। उन्होंने आरोप लगाया कि बादल परिवार ने पहले श्री अकाल तख्त साहिब पर अपने गुनाहों को स्वीकारा और सजा भुगती, लेकिन अब दोबारा उसी तरह की गलतियां दोहरा रहे हैं। शांति रही, पंथ ने जत्थेदार को नकारा
उन्होंने कहा कि पूरे घटनाक्रम को लेकर बड़ी चिंता थी, लेकिन सभी ने संयम बनाए रखा और शांति बनी रही। शिरोमणि कमेटी भी पीछे हटने को मजबूर हुई क्योंकि पंथ ने जत्थेदार कुलदीप सिंह को स्वीकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि जत्थेदार को संदेश देने के लिए धक्का नहीं देना चाहिए, पंथ की सहमति जरूरी है। प्रकाश सिंह साहुवाल द्वारा कोर्ट में जाने के सवाल पर जत्थेदार दादूवाल ने कहा कि कोर्ट जाना सभी का अधिकार है, लेकिन यह भी सच है कि पहले 8 साल तक कमेटी ने कोर्ट के चक्कर काटे हैं और लाखों रुपए खर्च हुए हैं। उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि सभी भाईचारे के साथ बैठकर समाधान निकालें। उन्होंने यह भी कहा कि प्रकाश सिंह साहुवाल पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल और नायब सैनी के साथ कई बार हाजिरी लगा चुके हैं, इसलिए अब सरकार पर आरोप लगाने का नैतिक अधिकार नहीं रखते। दादूवाल ने साफ कहा कि प्रधान हमेशा कोई एक नहीं रहता, लेकिन पंथ और सिद्धांत स्थायी हैं। सभी संस्थाओं को साथ लेकर चलने की जरूरत है ताकि सिख समाज को मजबूत किया जा सके और धार्मिक, शैक्षणिक संस्थानों का विकास सुनिश्चित हो सके।

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