करनाल में किसानों ने 13 दिन बाद किया धरना समाप्त:रिंग रोड पर गांव सोहाना में रास्ता और पानी की क्रॉसिंग की मिली मंजूरी, प्रशासन के साथ मीटिंग में बनी सहमति

by Carbonmedia
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हरियाणा में करनाल के गांव सोहाना में रिंग रोड पर रास्ता बनाए जाने की लंबे समय से चल रही मांग को प्रशासन ने आखिरकार स्वीकार कर लिया है। इसके साथ ही जिन किसानों के खेत रिंग रोड के दूसरी ओर हैं, उन्हें सिंचाई के पानी की क्रॉसिंग भी उपलब्ध कराई जाएगी। यह निर्णय सोमवार को सेक्टर 12 स्थित लघु सचिवालय में हुई एक अहम बैठक में लिया गया, जिसमें भाकियू और जिला प्रशासन के बीच सहमति बनी। 13 दिन से चल रहा था धरना गांव सोहाना में रास्ता बनाए जाने की मांग को लेकर भारतीय किसान यूनियन की अगुवाई में 13 दिन से धरना जारी था। धरने में करनाल के साथ-साथ हरियाणा के विभिन्न जिलों से किसान पहुंचे और समर्थन दिया। सोमवार को बड़ी संख्या में महिलाएं भी धरने पर शामिल हुईं और प्रदर्शन किया। भाकियू का 8 सदस्यीय शिष्टमंडल पहुंचा बातचीत के लिए ​​​​​​​धरने के समाधान के लिए भाकियू का 8 सदस्यीय शिष्टमंडल जिला प्रशासन से मिला। इसमें भाकियू प्रदेशाध्यक्ष रतनमान, जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह घुम्मन, चेयरमैन यशपाल राणा, प्रवक्ता सुरेंद्र सागवान, धरना संयोजक बबलू सोहाना, युवा नेता सूरज लाठर, कविंद्र, कृष्ण शर्मा व अशोक रोड फूंसगढ़ शामिल रहे। बैठक में जिला प्रशासन के अधिकारी, एच.जी. इंट्रा कंपनी और एनएचआई के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। रास्ता और पानी की क्रॉसिंग दोनों पर बनी सहमति ​​​​​​​बैठक में फैसला लिया गया कि गांव सोहाना के किसानों को रिंग रोड पर रास्ता बनाकर दिया जाएगा, ताकि उनकी खेतों तक आसान पहुंच हो सके। इसके साथ ही जिन किसानों के खेत सड़क के दूसरी ओर हैं, उन्हें सिंचाई के लिए पानी की क्रॉसिंग भी उपलब्ध कराई जाएगी। भाकियू शिष्टमंडल ने बैठक के बाद धरनास्थल पर पहुंचकर प्रदर्शन कर रहे किसानों को बातचीत के नतीजे की जानकारी दी। जैसे ही किसानों को बताया गया कि उनकी मांगें प्रशासन ने मान ली हैं, धरना समाप्त कर दिया गया। भविष्य में कार्रवाई नहीं हुई तो फिर से देंगे धरना: रतनमान ​​​​​​​भाकियू प्रदेशाध्यक्ष रतनमान ने कहा कि प्रशासन ने फिलहाल मांगें मान ली हैं और भरोसा दिया है कि जल्द काम शुरू होगा। लेकिन यदि इन पर समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो किसान दोबारा धरना शुरू करने में देर नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि किसानों की एकता और संघर्ष के दम पर यह फैसला लिया गया है, और आगे भी किसानों के हितों के लिए संघर्ष जारी रहेगा।

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