करनाल में कृषि मंत्री का धमकियों को लेकर बयान:बोले, विदेश में बैठे लोगों की कॉल को नहीं मानते धमकी, आमने-सामने कही बात को ही मानते हैं असली धमकी

by Carbonmedia
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जेजेपी के युवा नेता को फोन पर मिली धमकी के सवाल पर हरियाणा में करनाल के NDRI संस्थान में पहुंचे प्रदेश के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा कि विदेश में बैठे लोग कुछ भी कह देते हैं, उसे धमकी नहीं माना जाता। उन्होंने साफ कहा कि असली धमकी वही है, जब कोई सामने आकर कहे या गेट पर खड़े होकर बाहर बुलाए। वहीं, गोपाल कांडा के बयान पर कृषि मंत्री ने कोई सीधा जवाब नहीं दे पाए।
इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा किसानों के लिए शुरू की गई योजनाओं पर भी विस्तार से चर्चा की। धान की फसल को लेकर उन्होंने इस बार मौसम को वरदान बताया और 2-3 प्रतिशत अधिक उत्पादन की संभावना जताई। विदेश में बैठे लोग कुछ भी कह देते हैं
कृषि मंत्री ने कहा कि आजकल बाहर बैठे लोग फोन पर कुछ भी कह देते हैं और दावा करते हैं कि उन्होंने धमकी दी। अगर कोई व्यक्ति अमेरिका या किसी और देश में बैठकर कॉल करे, तो उसे धमकी नहीं कहा जा सकता। असली धमकी वह होती है, जब कोई आमने-सामने आकर कहे, या गेट पर खड़े होकर बाहर बुलाए। फोन पर दी गई विदेश से धमकी को वे गंभीरता से नहीं मानते। सवाल कुछ तो जवाब कुछ
जब कृषि मंत्री से पूछा गया कि गोपाल कांडा ने बयान दिया है कि मनोहर लाल की मेहरबानी रही कि रानिया से इनेलो जीत गई, तो उन्होंने जवाब दिया कि मनोहर लाल जी हमारे नेता रहे हैं और उनकी नीतियां पूरे देश में मानी जाती हैं। वह बड़े विचारशील और अच्छे विचार रखने वाले व्यक्ति हैं। अगर कोई उनके बारे में बयान देता है तो यह अच्छी बात है। प्रधानमंत्री की योजना किसानों के लिए वरदान
कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने किसानों की मदद के लिए योजना शुरू की थी, जिसके तहत साल में तीन बार किसानों के खाते में 2-2 हजार रुपए आते हैं। यह अमाउंट किसानों के लिए बेहद अहम है।
अगर कोई किसान सिर्फ एक या दो कनाल की खेती करता है, तब भी उसके खाते में यह पैसे पहुंचते हैं। अलग-अलग राज्यों की आर्थिक स्थिति अलग है और उड़ीसा जैसे प्रदेशों में 6 हजार रुपए की सहायता भी बड़ा वरदान है। भारत की अर्थव्यवस्था पर मंत्री की राय
प्रधानमंत्री के भाषण का जिक्र करते हुए मंत्री ने कहा कि भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है। लेकिन दुनिया में इस समय बहुत उथल-पुथल है, इसलिए हमें अपने देश का ख्याल रखना होगा और स्वदेशी वस्तुओं का इस्तेमाल बढ़ाना होगा। हमारे पास बड़ा बाजार है और पूरी दुनिया की नजर हमारे बाजार पर है। विदेशी देश अपनी चीजें यहां बेचना चाहते हैं, इसलिए हमें अपने उत्पादों को बढ़ावा देना चाहिए। धान की फसल पर मौसम का असर
धान में छोटे-बड़े पौधों के सवाल पर कृषि मंत्री ने कहा कि यह अलग-अलग परिस्थितियों में होता है। कई बार बीज समय से पहले लग जाता है या कोई तकनीकी समस्या आ जाती है। इस बार हुई बारिश खेती के लिए वरदान साबित हुई है।
आमतौर पर धान की फसल 30 जुलाई तक लगती थी, लेकिन इस बार यह 30 जून तक ही लग चुकी है, यानी एक महीना पहले। इससे खाद की डिमांड भी ज्यादा रही और पानी की पर्याप्त उपलब्धता के कारण सारी फसल समय से लग गई। उन्होंने अनुमान जताया कि इस बार उत्पादन 2-3 प्रतिशत ज्यादा रहेगा।

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