करनाल में डीसी आवास का घेराव कर दिया धरना:अल्फा सिटी के लोगों का आरोप, कालोनाइजर ने नक्शा पास कर रास्ता किया बंद, बच्चे नहीं जा पा रहे स्कूल

by Carbonmedia
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करनाल में रविवार को अल्फा सिटी के लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। जिला उपायुक्त के आवास के बाहर भारी संख्या में लोग पहुंचे और नारेबाजी करते हुए गेट के सामने धरना दे दिया। लोगों का आरोप है कि कालोनाइजर ने नक्शा पास करवाकर कॉलोनी का रास्ता ही बंद कर दिया है। इसकी शिकायतें लंबे समय से की जा रही हैं, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
अल्फा सिटी के लोगों का कहना है कि यह कॉलोनी साल 2005 में बनी थी। दिसंबर 2024 तक लोगों के लिए रास्ता खुला था, लेकिन अब वह बिल्डर की जगह घोषित कर दी गई है। लोगों के मुताबिक, डीसी ने डीटीपी को निर्देश दिए थे कि रास्ता बंद करने वाली दीवार को हटवाया जाए, लेकिन डीटीपी मौके पर जाकर सिर्फ काम रुकवाकर लौट आई। इसके बाद से वहां कोई कार्रवाई नहीं हुई। आवाजाही ठप, बच्चों की पढ़ाई पर असर
धरने पर बैठे, रामकुमार, साहिल, सचिन व दीपक कुमार ने बताया कि रास्ता बंद होने से अब आवाजाही पूरी तरह से ठप हो गई है। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। सड़क पर जगह-जगह गड्ढे बने हुए हैं, जिन्हें भरवाने की जिम्मेदारी भी कोई नहीं ले रहा। लोग परेशान होकर अब सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि उन्होंने यहां 15 हजार रुपए प्रति गज के हिसाब से रजिस्ट्री करवाई थी, लेकिन बदले में उन्हें कोई सुविधा नहीं मिल रही। लोगों का कहना था कि अगर वे किसी कच्ची कॉलोनी में जगह लेकर मकान बना लेते तो वहां सभी मूलभूत सुविधाएं मिल जातीं। एक साल में 50 बार अधिकारियों से की मुलाकात
निवासियों ने बताया कि पिछले एक साल में उन्होंने करीब 50 बार अधिकारियों से मुलाकात की। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से भी मिल चुके हैं, लेकिन उसके बावजूद कोई समाधान नहीं हुआ। लोगों का कहना है कि सरकार बिल्डर को कॉलोनी काटने के निर्देश तो दे देती है, लेकिन बिल्डर जमीन बेचकर चला जाता है और फिर सालों तक मेंटिनेंस चार्ज वसूलता है, जबकि कोई भी काम नहीं करता। इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है। लोगों की अपील- ऐसी कॉलोनी में प्लॉट न खरीदें
धरने पर बैठे लोगों ने अन्य लोगों से भी अपील की कि इस तरह की कॉलोनियों में प्लॉट न खरीदें। उनका कहना है कि यहां घर खरीदने के बाद से ही लोगों की परेशानियां शुरू हो जाती हैं। न तो सड़क की सुविधा मिलती है और न ही बच्चों के आने-जाने का रास्ता। ऐसे में प्रशासन और सरकार दोनों ही इस ओर ध्यान दें, ताकि लोगों को राहत मिल सके।

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