दिल्ली के रमेश नगर निवासी एक कारोबारी पिछले 12 साल से करनाल के चक्कर काट रहा है। उसका आरोप है कि यहां उसके साथ धोखाधड़ी हुई, लेकिन पुलिस न तो उसकी शिकायत दर्ज कर रही है और न ही कोई कार्रवाई कर रही है। कारोबारी का कहना है कि जिन आरोपियों ने उसके साथ फर्जीवाड़ा किया, वे प्रशासन से सेटिंग करके निकल जाते हैं और आज तक उसे केवल तारीखों और आश्वासनों के सिवा कुछ नहीं मिला। 2013 में खरीदी थी एक्सीडेंटल गाड़ी
पीड़ित कारोबारी जोगिंद्र सिंह गाड़ियों की सेल-पर्चेज का काम करता है। उसने बताया कि साल 2013 में उसने हुंडई कंपनी की एक एक्सीडेंटल गाड़ी करनाल के तरावड़ी इलाके के दो लोगों, अजय जांगड़ा और विजय जांगड़ा से खरीदी थी। गाड़ी सर्वजीत नाम के व्यक्ति के नाम पर थी, लेकिन पूरी डीलिंग इन दोनों के माध्यम से हुई। कार की कुल कीमत 3.18 लाख तय हुई, जिसमें से 68 हजार रुपए कैश दिए और 2.5 लाख का चेक दिया गया। बैंक से खुद भरवाया लोन, एनओसी भी मिली… फिर भी ट्रांसफर नहीं हुई गाड़ी
जोगिंद्र सिंह ने बताया कि गाड़ी पर 1.83 लाख रुपए का बैंक लोन पेंडिंग था, जिसे उसने खुद चुकाया। उसके बाद बैंक से एनओसी भी मिल गई। कार डीलिंग के वक्त एफिडेविट और अन्य दस्तावेज भी आरोपियों ने उसे दिए थे। लेकिन जब उसने कार को आगे बेचने के बाद ट्रांसफर करवाना चाहा, तो बैंक ने स्टैंप लगाने से मना कर दिया। बैंक मैनेजर ने बहाना बना दिया और कहा कि वह स्टैंप नहीं लगाएगा। कारोबारी का आरोप है कि बैंक मैनेजर और आरोपियों की मिलीभगत है, जिससे जानबूझकर कार ट्रांसफर रोकी जा रही है। राशन कार्ड देखकर हुआ शक, फिर सामने आई फर्जीवाड़े की साजिश
जब दस्तावेज मांगे गए तो आरोपी विजय ने एक राशन कार्ड की फोटोकॉपी दी, जो किसी और व्यक्ति की थी। पूछने पर बताया गया कि वह उसका दोस्त है। तभी जोगिंद्र को शक हुआ कि कुछ गड़बड़ है। बाद में पता चला कि गाड़ी के मालिक सर्वजीत ने खुद जोगिंद्र से कोई डील नहीं की थी। आरोप है कि अजय, विजय और सर्वजीत तीनों ने मिलकर योजना बनाई थी कि एक ही गाड़ी से पैसे भी वसूले जाएं, रिपेयर करवाकर इंश्योरेंस क्लेम भी लिया जाए और मालिकाना हक भी कायम रखा जाए। पुलिस को दी शिकायत, पर उल्टा पीड़ित पर ही दर्ज हो गई FIR
जोगिंद्र सिंह ने 5 मार्च 2014 को करनाल के सेक्टर-13 थाना में लिखित शिकायत दी। उसने आरोपियों पर जाली हस्ताक्षर कर गाड़ी बेचने और दस्तावेज देने से इनकार करने की बात लिखी। लेकिन इस शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उल्टा, जब गाड़ी मालिक सर्वजीत थाने पहुंचा, तो उसने कहा कि वह अजय और विजय के खिलाफ FIR करवाएगा। लेकिन बाद में सर्वजीत ने खुद ही FIR दर्ज करवा ली और लिखा कि अजय उससे गाड़ी लेकर जाली दस्तावेज बनाकर बेच चुका है। समझौता कर लिया आरोपियों ने, कोर्ट ने भी एफआईआर का रास्ता दिखाया
सर्वजीत ने बाद में अजय के साथ समझौता कर लिया। इस दौरान जोगिंद्र सिंह की हालत ये हो गई कि वह जिस गाड़ी को बेच चुका था, वह ट्रांसफर नहीं हुई और उसके ऊपर भी केस दर्ज हो गया। बाद में मामला कोर्ट पहुंचा। 24 सितंबर 2024 को कोर्ट ने आदेश दिया कि जोगिंद्र सिंह इस पूरे मामले में अलग से एफआईआर दर्ज करवा सकता है। एसपी से की शिकायत, पर कार्रवाई अब तक शून्य
कोर्ट आदेश के बाद पीड़ित ने करनाल एसपी को फरवरी 2025 में विस्तृत शिकायत दी और कहा कि इस पूरे मामले में अजय, विजय, सर्वजीत और बैंक मैनेजर की मिलीभगत से उसके साथ ठगी की गई है। उसने दस्तावेजों, पेमेंट, एनओसी, एफिडेविट सहित सभी सबूत दिए। लेकिन अभी तक न तो उसकी शिकायत दर्ज की गई और न ही किसी आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई। न्याय के लिए 12 साल से भटक रहा पीड़ित, एसपी से लगाई गुहार
पीड़ित ने कहा कि मेरे पास गाड़ी कबाड़ की हालत में खड़ी रह गई है, पैसे भी चले गए और उल्टा केस भी झेलना पड़ा। अब 12 साल बाद कोर्ट के आदेश के बावजूद कोई कार्रवाई न होना इस बात का सबूत है कि सिस्टम में बैठे कुछ लोग आरोपियों की मदद कर रहे हैं। उसने करनाल एसपी से मांग की है कि इस मामले में FIR दर्ज की जाए और अजय, विजय, सर्वजीत और बैंक मैनेजर पर कड़ी कार्रवाई हो।
करनाल में धोखाधड़ी का शिकार हुआ कारोबारी:12 साल से इंसाफ के लिए काट रहा चक्कर, गाड़ी बेची, पैसे भी दिए, फिर भी न ट्रांसफर हुई, न शिकायत दर्ज हुई
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