करनाल में बाल विवाह की आशंका पर पहुंची CWC टीम:16 वर्षीय नाबालिग को लिया अपने कब्जे में, मौके पर नहीं दिखा शादी जैसा माहौल

by Carbonmedia
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करनाल के निसिंग थाना क्षेत्र के एक गांव में बाल विवाह की आशंका के चलते बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने एहतियातन एक 16 वर्षीय नाबालिग लड़की को अपने कब्जे में ले लिया है। सीडब्ल्यु सी के मुताबिक, उन्हें इस मामले की सूचना मिली थी, जिसके बाद टीम मौके पर पहुंची। हालांकि मौके पर शादी की कोई स्पष्ट तैयारी नजर नहीं आई, लेकिन संभावित बाल विवाह को टालने के लिए लड़की को कुछ दिनों तक अपने संरक्षण में रखने का फैसला लिया गया है। मौके पर नहीं दिखा शादी जैसा माहौल, फिर भी लड़की को साथ ले गई टीम
सीडब्ल्यूसी चेयरमैन उमेश चानना ने बताया कि सूचना मिलने पर तुरंत टीम गांव पहुंची, जहां शुरुआती जांच में घर में शादी जैसा कोई सीधा माहौल नहीं मिला। लेकिन एहतियातन बच्ची को अपने साथ ले जाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा कुछ चल भी रहा हो तो कुछ दिन बच्ची को हमारे पास रखने से शादी टल जाएगी। स्कूल जाना भी छोड़ा, जिससे संदेह और बढ़ा
नाबालिग के परिवार ने बताया कि बच्ची पिछले कई दिनों से स्कूल नहीं जा रही है, हालांकि उन्होंने यह भी दावा किया कि वे किसी तरह की शादी नहीं कर रहे हैं। फिर भी सीडब्ल्यूसी को परिस्थितियां संदेहास्पद लगीं। उमेश चानना ने कहा कि घर में शादी जैसा माहौल नहीं है, लेकिन घरवाले कहीं ओर ले जाकर शादी न कर दें, इसलिए हम बच्ची को अपने पास रख रहे हैं। बाल विवाह करने वालों को होती है सख्त सजा
चेयरमैन उमेश चानना ने इस मौके पर आम लोगों से अपील करते हुए कहा कि बाल विवाह एक गंभीर अपराध है और इससे बच्चों का शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास रुक जाता है। उन्होंने बताया कि बाल विवाह कराने पर केवल माता-पिता ही नहीं बल्कि शादी में शामिल अन्य सभी जिम्मेदार लोगों पर भी कानूनी कार्रवाई होती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर कोई नाबालिग की शादी करता है तो लड़की के माता-पिता, लड़का, टेंट हाउस वाले, कैटरर्स, और सात फेरे करवाने वाला पंडित सभी के खिलाफ सजा का प्रावधान है। ऐसे में क्यों इतने लोगों को सजा दिलवाना? सजगता से रुकती हैं घटनाएं, आमजन भी निभाएं जिम्मेदारी
सीडब्ल्यूसी ने सभी से अपील की है कि यदि कहीं भी बाल विवाह की आशंका हो तो तुरंत संबंधित विभाग या पुलिस को सूचना दें, ताकि समय रहते कार्रवाई हो सके और एक बच्चे का भविष्य खराब होने से बचाया जा सके। चेयरमैन ने कहा कि समाज की सजगता से ही ऐसी घटनाएं रोकी जा सकती हैं।

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