कर्नल बाठ मारपीट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज एक अहम फैसले में पंजाब पुलिस के उन अधिकारियों की कड़ी आलोचना की, जिन पर एक सेवारत आर्मी कर्नल और उनके बेटे के साथ मारपीट का आरोप है। कोर्ट ने इस मामले की जांच CBI को सौंपने के पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और पंजाब पुलिस अधिकारियों की याचिका खारिज कर दी। जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए सख्त लहजे में कहा: “जंग के समय आप सेना के जवानों को सराहते हो, लेकिन शांति के समय उनका अपमान करते हो। वे देश की रक्षा करते हुए तिरंगे में लिपटे लौटते हैं।” जस्टिस शर्मा ने कहा: “आप आराम से घर में सोते हो क्योंकि वो -40 डिग्री में बॉर्डर पर तैनात हैं। FIR में 8 दिन की देरी? आपके एसएसपी कहते हैं कि गिरफ्तारी नहीं हो रही क्योंकि आरोपी पुलिसवाले हैं! यह कानून का मजाक है।” जस्टिस संजय कुमार ने कहा: “अगर आपने कुछ गलत नहीं किया, तो स्वतंत्र जांच से डर क्यों?” जानें याचिका में क्या कहा था पुलिस अधिकारियों ने पंजाब पुलिस के जिन अधिकारियों की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की, उन्होंने कोर्ट में यह तर्क दिया था कि हाईकोर्ट ने जिस तरह से CBI जांच का आदेश दिया, वह पूर्वाग्रह से ग्रसित है। उनका कहना था कि अभी ट्रायल शुरू भी नहीं हुआ है, लेकिन हाईकोर्ट ने ऐसा आदेश दिया मानो वे पहले से ही दोषी हों। उन्होंने यह भी दावा किया कि जांच पहले ही एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को सौंपी गई थी और उसे निष्पक्ष तरीके से पूरा करने के लिए समय भी दिया गया था, इसलिए अब CBI जांच की कोई आवश्यकता नहीं है। पुलिसकर्मियों की ओर से यह भी दलील दी गई कि हाईकोर्ट का आदेश एकतरफा है, जिससे उनकी छवि और अधिकारों को नुकसान पहुंचा है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी दलीलों को खारिज कर दिया और कहा कि अगर कुछ छिपाने को नहीं है तो स्वतंत्र जांच से घबराना नहीं चाहिए। जानें हाईकोर्ट ने क्यों दी थी CBI जांच की मंजूरी? जब पीड़ित आर्मी ऑफिसर को स्थानीय पुलिस से न्याय मिलने की उम्मीद नहीं दिखी, तो उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया। हाईकोर्ट ने पहले जांच का जिम्मा चंडीगढ़ पुलिस के IPS अफसर मंजीत (SP, UT) को सौंपा और चार महीने में जांच पूरी करने का आदेश दिया। लेकिन इस निर्देश के बाद भी किसी आरोपी पुलिसकर्मी की गिरफ्तारी नहीं हुई। इस पर हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि जांच निष्पक्ष नहीं लग रही और 16 जुलाई के आदेश में मामले की जांच CBI को सौंप दी थी। जाने क्या हुआ था घटना के दिन दिल्ली से पटियाला यात्रा के दौरान जब एक आर्मी कर्नल और उनके बेटे ने एक ढाबे पर खाना खाने के लिए गाड़ी रोकी, तो वहां मौजूद चार पंजाब पुलिसकर्मियों ने उनकी कार हटाने को कहा। मना करने पर कथित रूप से दोनों को पीटा गया। कर्नल ने आरोप लगाया कि FIR दर्ज कराने के लिए उन्हें बहुत भागदौड़ करनी पड़ी, लेकिन पंजाब सरकार ने अपने अधिकारियों को बचाने की कोशिश की। FIR दर्ज करने में आठ दिन की देरी हुई।
कर्नल बाठ मामले में SC पुलिस से नाराज:कहा- “सेना का सम्मान करो, तुम उनके कारण चैन से सोते हो”, CBI करेगी जांच
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