कर्नाटक कांग्रेस में सब ठीक है? पहले बयानों से बढ़ा सियासी पारा और फिर डीके शिवकुमार बोले- हम सब एक हैं

by Carbonmedia
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Karnataka CM Post: कर्नाटक की सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी में एक बार फिर नेतृत्व को लेकर घमासान मच गया है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डी. के. शिवकुमार के बीच अब मुख्यमंत्री कौन होगा, इसको लेकर टकराव के संकेत साफ नजर आने लगे हैं. हालांकि ये सीधे तौर पर सिद्धारमैया और DKS के बीच नहीं, लेकिन डी. के. शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की आवाज तेज हो रही है.
 
पार्टी में उठे असंतोष के सुरों को देखते हुए आलाकमान ने स्थिति को गंभीरता से लिया है और पार्टी महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला को बेंगलुरु भेजकर डैमेज कंट्रोल की जिम्मेदारी सौंपी है. सुरजेवाला फिलहाल विधायकों से एक-एक कर मुलाकात कर रहे हैं और ये सिलसिला आने वाले कुछ दिनों तक जारी रह सकता है.
 
अब हाईकमान करेगा फैसला
पार्टी में यह हलचल यूं ही नहीं है. हाल ही में वरिष्ठ विधायक बीआर. पाटिल और राजू कागे समेत करीब आधा दर्जन विधायकों ने सिद्धारमैया सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार के कामकाज में भ्रष्टाचार है और उनके क्षेत्रों के विकास कार्यों के लिए फंड तक रोक दिए गए हैं. खुलकर बगावती तेवर दिखाने वालों में बीआर. पाटिल और राजू कागे सबसे आगे हैं. पाटिल से सुरजेवाला ने पहली मुलाकात की थी, जिसके बाद उनके तेवर थोड़े नरम पड़े और उन्होंने कहा कि जो कहना था, पार्टी नेतृत्व से कह दिया है, अब फैसला हाईकमान को करना है.
 
इधर D. K. शिवकुमार का खेमा इस असंतोष का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश में जुट गया है. रामनगर से विधायक और शिवकुमार के करीबी माने जाने वाले इकबाल हुसैन ने दावा किया कि 100 से ज्यादा विधायक चाहते हैं कि DK शिवकुमार मुख्यमंत्री बनें. हालांकि नेतृत्व परिवर्तन का समर्थन खुलकर कुछ ही विधायक कर रहे हैं.
 
ऐसा कोई लिखित या आधिकारिक आश्वासन नहीं
फिलहाल संख्या के लिहाज से सिद्धारमैया के समर्थक अधिक हैं. बावजूद इसके, DK खेमे को उम्मीद है, क्योंकि नवंबर 2025 में सरकार का ढाई साल का कार्यकाल पूरा हो रहा है. दावा है कि मई 2023 में जब सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाया गया था, तब सोनिया गांधी ने शिवकुमार से ढाई साल बाद CM बनाए जाने का वादा किया था, लेकिन सिद्धारमैया गुट का कहना है कि ऐसा कोई लिखित या आधिकारिक आश्वासन नहीं दिया गया. कई विधायक कैमरे पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं.
 
लीडरशिप चेंज पर नहीं, कार्यों पर तय मीटिंग्स
N.A. हैरिस ने कहा, ‘सीएम चेंज पर फैसला हाईकमान को करना है.’ उधर रणदीप सुरजेवाला ने तमाम अटकलों को खारिज करते हुए साफ किया कि ये मीटिंग्स विधायकों के कार्यों और गारंटी के फीड बैक पर केंद्रित है, न कि लीडरशिप चेंज पर. 
D. K. शिवकुमार ने भी अपनी बात स्पष्ट कि मुझे किसी विधायक की सिफारिश नहीं चाहिए. अब समय खत्म हो गया है, हमें 2028 पर फोकस करना है. कांग्रेस में कोई गुटबाजी नहीं है, सिर्फ मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व वाला एक ही ग्रुप है. पार्टी लाइन से हटकर बोलने वालों पर कार्रवाई होगी.
शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाना पार्टी के लिए जोखिम
 
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार जैसे राज्य में आगामी चुनावों को देखते हुए कांग्रेस ऐसा कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती, जिससे पिछड़ा वर्ग नाराज हो जाए. ऐसे में पिछड़े वर्ग से आने वाले सिद्धारमैया को हटाकर फॉरवर्ड कास्ट के शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाना पार्टी के लिए जोखिम भरा हो सकता है.
 
वहीं दूसरी ओर इकबाल हुसैन अब भी बगावती तेवर अपनाए हुए हैं. सुरजेवाला से मुलाकात के बाद भी उनका रुख नहीं बदला. उन्होंने कहा, ‘हमें बदलाव चाहिए और D. K. शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाकर ही रहेंगे. अगर पार्टी को मेरा ओपिनियन पसंद नहीं है, तो मुझे सस्पेंड कर दो, लेकिन मैं चुप नहीं बैठूंगा.
बिहार चुनाव से होगा फैसला
 
साफ है कि कर्नाटक कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है. सिद्धारमैया सरकार के कामकाज को लेकर उठे सवालों ने D. K. खेमे को नई उम्मीद दी है, लेकिन नेतृत्व परिवर्तन की संभावना फिलहाल दूर की कौड़ी ही लग रही है. पार्टी आलाकमान की रणनीति अब इस बात पर निर्भर करेगी कि बिहार चुनाव के मद्देनजर कर्नाटक में स्थिरता बनाए रखी जाए या नेतृत्व में फेरबदल किया जाए.ये भी पढ़ें:- टेकऑफ के बाद 900 फीट नीचे आ गया एअर इंडिया का प्लेन, अटक गई थी यात्रियों की जान

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