‘कर्नाटक के CM बनेंगे डीके शिवकुमार’, कांग्रेस विधायक कर दिया बड़ा खुलासा, बताया क्या है प्लान

by Carbonmedia
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कर्नाटक के कांग्रेस विधायक एच. ए. इकबाल हुसैन ने रविवार (29 जून, 2025) को दावा किया कि डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार को अगले दो से तीन महीनों के अंदर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिल सकता है. शिवकुमार के करीबी माने जाने वाले विधायक की ये टिप्पणी इस साल के अंत में कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच आई है.
सहकारिता मंत्री के एन राजन्ना के हालिया बयान के बाद चर्चा फिर से शुरू हो गई, जिसमें सितंबर के बाद राज्य में क्रांतिकारी राजनीतिक बदलाव के संकेत दिए गए थे. उन्होंने कहा था कि आप सभी जानते हैं कि इस सरकार के सत्ता में आने से पहले हमारी (कांग्रेस की) ताकत क्या थी.
‘हमें पूरा विश्वास है कि आलाकमान स्थिति से अवगत है’पीटीआई के मुताबिक कांग्रेस विधायक ने कहा कि हर कोई जानता है कि इस जीत को हासिल करने के लिए किसने संघर्ष किया और किसने पसीना बहाया. उनकी (शिवकुमार की) रणनीति और कार्यक्रम अब इतिहास है. हुसैन से जब रामनगर में पत्रकारों ने पूछा कि क्या शिवकुमार के पास सीएम बनने का मौका था, इस पर उन्होंने कहा कि मैं अटकलों पर विश्वास नहीं करता. हमें पूरा विश्वास है कि आलाकमान स्थिति से अवगत है और उन्हें अवसर देने के लिए सही समय पर उचित निर्णय लेगा. 
जब कांग्रेस विधायक इकबाल हुसैन से पूछा गया कि क्या डीके शिवकुमार इस साल सीएम बनेंगे तो हुसैन ने जवाब दिया हां. उन्होंने कहा कि दो से तीन महीने के भीतर निर्णय हो जाएगा. 
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बेटे ने बताया अटकलबाजीमुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बेटे और कांग्रेस एमएलसी यतींद्र सिद्धारमैया के सीएम बदलने को अटकलबाजी बताकर खारिज करने पर हुसैन ने कहा कि कांग्रेस आलाकमान ने 2023 के विधानसभा चुनावों के बाद सरकार बनाने का फैसला किया, हम सब तब दिल्ली में एक साथ थे. सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने फैसला लिया. यह बात सभी जानते हैं और वे अगला फैसला भी लेंगे तब तक हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा.
‘आज की स्थिति में बदलाव की उम्मीद है’ कांग्रेस के भीतर कई सत्ता केंद्रों के बारे में राजन्ना के दावों का जवाब देते हुए हुसैन ने उन्हें खारिज करते हुए कहा कि केवल एक ही सत्ता केंद्र है और वो है पार्टी हाईकमान. कांग्रेस में अनुशासन और प्रतिबद्धता है और हर कोई इसका पालन करता है. कई समुदायों के लोगों ने पार्टी के लिए काम किया है और उन्होंने इसके लिए बलिदान दिया है और लड़ाई लड़ी है. आज की स्थिति में बदलाव की उम्मीद है और यह बदलाव होगा, लेकिन इसे क्रांति नहीं कहा जा सकता. 
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