कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार (27 जून, 2025) को भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के खिलाफ दर्ज दो आपराधिक मामलों को रद्द कर दिया. इन मामलों में यह आरोप था कि उन्होंने किसानों और मंदिरों की संपत्तियों पर कथित अतिक्रमण को लेकर वक्फ बोर्ड और राज्य सरकार की आलोचना करते हुए एक विरोध प्रदर्शन के दौरान आपत्तिजनक टिप्पणी की थी.
जस्टिस एस आर कृष्ण कुमार ने आदेश सुनाते हुए बसवराज बोम्मई की उस याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें शिगगांव पुलिस की ओर से भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 196(1)(ए) के तहत शुरू की गई कार्यवाही को रद्द करने का अनुरोध किया गया था, जो धर्म या जाति जैसे आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने से संबंधित है.
अदालत में बसवराज बोम्मई का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता प्रभुलिंग के. नवादगी ने दलील दी कि शिकायतों में धारा 196(1)(ए) के तहत मामला बनाने के लिए आवश्यक तत्वों का अभाव है. इसके जवाब में, अतिरिक्त विशेष लोक अभियोजक बी एन जगदीश ने दलील दी कि विरोध प्रदर्शन के वीडियो साक्ष्य से प्रथम दृष्टया पता चलता है कि बसवराज बोम्मई ने अपराध किया है.
शिकायत की पड़ताल करने और सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के संबद्ध आदेशों का हवाला देने के बाद, न्यायाधीश ने पाया कि आरोप बहुत अस्पष्ट हैं और उनमें कोई ठोस आधार नहीं है.
न्यायाधीश ने कहा कि ‘जहां भी पत्थर फेंको, वहां वक्फ की संपत्ति मिलती है’ संबंधी बसवराज बोम्मई के बयान के अलावा शिकायत में ऐसे विशिष्ट तत्व नहीं थे जो उक्त प्रावधान के तहत आरोपों को कायम रख सकें. अदालत ने कहा कि मामले को आगे बढ़ाना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा और बसवराज बोम्मई के खिलाफ कार्यवाही को रद्द कर दिया. न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि यह राहत बसवराज बोम्मई तक ही सीमित है और प्राथमिकी में नामजद अन्य आरोपियों पर यह लागू नहीं होती.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने बसवराज बोम्मई के खिलाफ दर्ज दो आपराधिक मामलों को रद्द किया
1