संसद को सम्बोधित करते हुए मंगलवार (29 जुलाई, 2025) को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधा और कहा कि कांग्रेस ने हमेशा नेशनल सिक्योरिटी पर समझौता किया है. आज जो लोग पूछ रहे हैं कि पीओके को वापस क्यों नहीं लिया तो इससे पहले पूछने वालों को जवाब देना होगा कि किसकी सरकार ने पीओके पर पाकिस्तान को कब्जा करने का अवसर दिया?
पीएम मोदी ने कहा, ‘कांग्रेस के छिछोरेपन ने सेना का मनोबल गिरा दिया. भारत को दुनियाभर से समर्थन मिला, लेकिन देश के वीर जवानों को कांग्रेस का समर्थन नहीं मिला. 22 अप्रैल के आतंकी हमले के 3-4 दिन बाद ही ये उछलने लगे और कह रहे, कहां गई 56 इंच की छाती, कहां गए मोदी?
ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल खड़ा कर रहा विपक्ष
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि ये लोग पहलगाम के निर्दोष लोगों की हत्या में भी राजनीति तलाश रहे थे. अपनी स्वार्थी राजनीति के लिए मुझपर निराशा साध रहे थे. इन्हें ना भारत के सामर्थ्य पर भरोसा है और ना ही भारत की सेना पर, इसलिए वो लगातार ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल उठा रहे हैं.
आजादी के बाद से ही जो फैसले लिए गए, उनकी सजा आज तक देश भुगत रहा है. 1962 और 1963 के बीच कांग्रेस के नेता जम्मू-कश्मीर के पुंछ, पुरी और किशनगंगा को छोड़ देने का प्रस्ताव रखते थे, जो ‘लाइन ऑफ पीस’ के नाम पर किया जा रहा था. अगर उस समय की सरकार में थोड़ी समझ होती तो पीओके वापस लेने का निर्णय हो सकता था.
26/11 हमले का किया जिक्र
उन्होंने आगे कहा कि आजकल कांग्रेस के जो लोग हमें डिप्लोमेसी का पाठ पढ़ा रहे हैं, मैं उन्हें उनकी डिप्लोमेसी याद दिलाना चाहता हूं. 26/11 जैसे भयंकर हमले के बाद बहुत बड़ा आतंकी हमला हुआ, कांग्रेस का पाकिस्तान से प्रेम नहीं रूका. विदेशी दबाव में हमले के कुछ हफ्तों के भीतर ही कांग्रेस सरकार ने पाकिस्तान से बातचीत शुरू कर दी.
पीएम ने कहा कि एक तरफ देश मुंबई के हमले का न्याय मांग रहा था, दूसरी तरफ कांग्रेस पाकिस्तान से व्यापार कर रहा था. भारत के हितों को गिरवी रख देना कांग्रेस की आदत रही है, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण सिंधु जल समझौता था.
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