कांग्रेस नेता मनीष तिवारी का चौंकाने वाला बयान, कहा- ‘मैं छिपाना जानता तो…’

by Carbonmedia
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Manish Tewari On Operation Sindoor: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद आतंकवाद के खिलाफ दुनियाभर के देशों को संदेश देने के लिए भारत से सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल विदेश दौरे पर गया था, इसमें चंडीगढ़ से कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी भी शामिल रहे थे. आतंकवाद को लेकर विदेशों में अपनी बात रखने के बाद वहां से जब मनीष तिवारी वापस आए तब उन्होंने दूसरे सदस्यों के साथ पीएम मोदी से मुलाकात भी की थी.
पीएम मोदी से मुलाकात के बाद मनीष तिवारी को लेकर सियासी अटकलें लगाई भी जा रही हैं. इसी बीच उन्होंने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”मैं छिपाना जानता तो जग मुझे साधु समझता, शत्रु मेरा बन गया है, छल-रहित व्यवहार मेरा.”
आतंकवाद को लेकर मनीष तिवारी ने क्या कहा था?
इससे पहले उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ फोटो शेयर कर कुछ जानकारी साझा करते हुए लिखा, ”मैंने 1980 के दशक के मध्य में पंजाब में हिंसक उग्रवाद, अलगाववाद और आतंकवाद के खिलाफ राजनीतिक लड़ाई की अग्रिम पंक्ति में अपनी राजनीतिक शुरुआत की थी, जब आप इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं थे कि आप सुबह बाहर जाएंगे तो शाम को वापस भी आएंगे या नहीं. यही हमारी पहचान है.
उन्होंने आग कहा था, ”1980 से 1995 के बीच पंजाब में आतंकवादियों के हाथों 30,000 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें हमारे अपने परिजन भी शामिल थे. पाकिस्तान द्वारा प्रशिक्षित, संसाधनयुक्त और हथियारबंद आतंकवादी. हमारे लिए पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद कोई गूढ़ अकादमिक चर्चा नहीं बल्कि अस्तित्वगत चुनौती है. इसलिए यह एक तरह से यह भी था कि हम पाकिस्तान की धोखेबाजी को उजागर करने में अपनी भूमिका निभाते, जैसा कि हमने पिछले 45 वर्षों में किया है.”
चार देशों की यात्रा पर गए थे मनीष तिवारी 
चार देशों की यात्रा पूरी करने के बाद कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत लौटे थे तो उन्होंने बताया कि दुनिया को एक स्पष्ट संदेश दिया है कि पाकिस्तान एक आतंकवादी देश है. कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने ने कहा था, ”सभी प्रतिनिधिमंडल जो विदेश दौरे पर गए और वहां उन्होंने अपने समकक्षों से बात की. उन्होंने दुनिया को एक स्पष्ट संदेश दिया है कि पाकिस्तान एक आतंकवादी देश है, जो आतंकवाद को बढ़ावा देता है.
उन्होंने आगे कहा था, ”पाकिस्तान न केवल दक्षिण एशिया में अस्थिरता को बढ़ावा देता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर अशांति का एक प्रमुख स्रोत भी है. हम जितने भी देशों में गए हैं, वहां इस बात को रखने में सफल रहे हैं.” 
 

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