Uttarakhand News: हरिद्वार में कांवड़ यात्रा से पहले कांवड़ निर्माण को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है. जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी यतीन्द्रानंद गिरि और स्वामी यशवीर महाराज ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर कांवड़ निर्माण प्रक्रिया के मानकीकरण और सत्यापन की मांग की है. संत समाज ने कांवड़ की पवित्रता और निर्माताओं की धार्मिक-सामाजिक पृष्ठभूमि की जांच पर जोर दिया है, जिससे कांवड़ यात्रा की आस्था और शुचिता बरकरार रहे.
हाल ही में कुछ हिंदू संगठनों ने यह सवाल उठाया है कि क्या मुस्लिम परिवारों द्वारा बनाई गई कांवड़ पवित्र मानी जा सकती है, खासकर तब जब कुछ लोग थूक जिहाद और गो-हत्या जैसे विवादित मामलों से जोड़े जाते हैं. इन संगठनों का कहना है कि कांवड़ जैसी पवित्र वस्तु के निर्माण में धार्मिक शुचिता और पारदर्शिता सुनिश्चित होनी चाहिए.
संत समाज की मांग: कांवड़ निर्माण में मानकीकरण और पारदर्शिता
जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी यतीन्द्रानंद गिरि ने कहा कि कांवड़ यात्रा में लाखों श्रद्धालु सौ किलोमीटर से अधिक का सफर तय करते हैं. यह आस्था का प्रतीक है, और इसके निर्माण में किसी भी तरह का संदेह स्वीकार्य नहीं है. कांवड़ निर्माण में लगे लोगों की धार्मिक और सामाजिक पृष्ठभूमि की जांच होनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कांवड़ बनाने वाले लोग धार्मिक शुचिता का सम्मान करते हैं.
संत समाज ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मांग की है कि कांवड़ निर्माण के लिए एक मानक प्रक्रिया लागू की जाए और निर्माताओं का सत्यापन हो ताकि श्रद्धालुओं की आस्था पर कोई आंच न आए.
विवाद की जड़: थूक जिहाद और गो-हत्या के आरोप
हाल के दिनों में थूक जिहाद और गो-हत्या जैसे मुद्दों ने देशभर में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. कुछ हिंदू संगठनों का दावा है कि कांवड़ निर्माण में शामिल कुछ लोगों की पृष्ठभूमि संदिग्ध है, जिससे कांवड़ की पवित्रता पर सवाल उठ रहे हैं.
मुख्यमंत्री धामी को पत्र: संत समाज की अपील
स्वामी यतीन्द्रानंद गिरि ने अपने पत्र में मुख्यमंत्री से अपील की है कि कांवड़ निर्माण के लिए एक नियामक तंत्र स्थापित किया जाए. उन्होंने सुझाव दिया कि:
कांवड़ निर्माण में लगे लोगों की पृष्ठभूमि की जांच हो.
निर्माण प्रक्रिया में धार्मिक और सांस्कृतिक मानदंडों का पालन सुनिश्चित किया जाए.
एक सत्यापन प्रणाली लागू हो, जो पारदर्शिता और विश्वास बनाए रखे.
यहां बता दें कि इससे पहले भी यूपी में कई संत और हिन्दू संगठन इस तरह की मांग उठा रहे हैं. कई जगह अलग-अलग धर्म के दुकानदार होने से विवाद भी हुआ था. फ़िलहाल अभी इस मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफसे कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.