कांवड़ यात्रा 2025 विशेष: जानें नियम, शास्त्रीय रहस्य और चेतावनियां

by Carbonmedia
()

Kanwar Yatra: कांवड़ यात्रा सिर्फ एक तीर्थ नहीं, बल्कि संयम और साधना की महायात्रा है. सावन मास की प्रतिपदा जो पंचांग अनुसार 11 जुलाई 2025 को पड़ रही है, इस दिन से कांवड़ यात्रा का शुभारंभ होगा. कांवड़ यात्रा के नियम, प्रतीक और शास्त्रीय रहस्य क्या हैं, जानते और समझते हैं.
कांवड़ केवल गंगाजल नहीं, एक तपस्या है!श्रावण मास में जलाभिषेक के लिए हरिद्वार, गंगोत्री, गौमुख और देवघर जैसे तीर्थों से जल लेकर शिवलिंग पर चढ़ाने की जो परंपरा है, उसे कांवड़ यात्रा कहा जाता है. यह यात्रा जितनी बाह्य रूप से कठिन है, उतनी ही आंतरिक रूप से संयम और पवित्रता की मांग करती है.
यही कारण है कि इस यात्रा को जो भी नियम पूर्वक, अनुशासन और पूर्ण भक्ति भाव से करता है भोलेनाथ उसके सभी कष्टों को दूर करते हैं, जीवन में सफलता, सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं.
कांवड़ यात्रा आधुनिक परंपरा का हिस्सा नहीं है, इस यात्रा का जिक्र स्कंद पुराण, शिव महापुराण और योगशास्त्रों में मिलता है. इस यात्रा के नियम, उद्देश्य और साधनाओं का उल्लेख इन पौराणिक ग्रंथों में मिलता है.
शास्त्रों में कांवड़ यात्रा का महत्व और नियम
1. शिवपुराण की कथाशिवपुराण, कोटिरुद्र संहिता के अनुसार श्रावण मासे नदीतटे स्नानं कृत्वा जलं गृहीत्वा शिवालयं यान्ति ये भक्ताः, ते भवबन्धनं त्यजन्ति.
अर्थ: श्रावण मास में पवित्र नदी से जल लेकर जो भक्त शिवालय जाते हैं, वे संसार के बंधनों से मुक्त हो जाते हैं.
2. स्कंद पुराण में यात्रा का विधानकृत्स्नं शरीरं शुद्धं कुर्यात्, अन्नं पवित्रं सेवेत
यानि यात्रा पर जाने वाले को शारीरिक और मानसिक पवित्रता, सात्विक आहार और नियमबद्ध आचरण का पालन करना चाहिए.
3. महाभारत में परिश्रम की महिमासर्वं तपःश्रमेण लभ्यते
इसका अर्थ है कि कांवड़ यात्रा में किया गया परिश्रम भी तप के समान माना गया है.
जिन नियमों का पालन न करना पाप माना गया है…
1- कांवड़ को धरती पर न रखेंयदि गलती से कांवड़ जमीन पर रख दी जाती है, तो संकल्प टूट जाता है. भक्त को गंगाजल वापस ले जाकर दोबारा भरना पड़ता है.
2- अपवित्रता से बचे

कांवड़ यात्रा के दौरान मांस, शराब, तंबाकू, भांग जैसे नशीले पदार्थों से पूर्ण रूप से बचना चाहिए.
चमड़े की वस्तुएं (बेल्ट, जूते) न पहनें.

3- दाहिने हाथ से जल चढ़ाएंशिवपुराण के अनुसार दक्षिणहस्तेन अभिषेचनं श्रेष्ठम्.
4- कोई दूसरे की कांवड़ को न छुएकांवड़ व्यक्तिगत संकल्प है. किसी और की कांवड़ छूना शास्त्रों के अनुसार अनुचित है.
कांवड़ यात्रा को लेकर प्रशासनिक नियम जो कांवड़ियों को जानना चाहिए

नियम 
विवरण

ध्वनि नियंत्रण
DJ, स्पीकर की अधिकतम ध्वनि 75 dB तक सीमित होगी.

मांस-शराब बिक्री बंद
यात्रा मार्ग पर मीट और शराब पूरी तरह प्रतिबंधित है.

खाद्य निरीक्षण
केवल फूड सेफ्टी अधिकारी ही भोजन की जांच कर सकते हैं.

यातायात प्रबंधन
भारी वाहन, बस, ट्रक प्रतिबंधित; कुछ मार्ग विशेष दिनों में बंद रहते हैं.

ड्रोन और CCTV निगरानी
हरिद्वार, मेरठ, मुजफ्फरनगर, गाज़ियाबाद आदि में व्यापक निगरानी.

कांवड़ यात्रा में क्या करें, पवित्र आचरण की सूची यहां देखें
करें

नित्य स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें
“बोल बम” के उच्चारण के साथ यात्रा करें
गंगाजल को दोनों कंधों पर संतुलित रखें
कांवड़ को हर समय ऊँचाई पर रखें (स्टैंड, रस्सी)

न करें

किसी के प्रति क्रोध, अभद्र व्यवहार या दिखावा
यात्रा के दौरान झूठ बोलना, चुगली करना
शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाते समय कपड़े या अन्य वस्तुएं साथ चढ़ाना

कांवड़ यात्रा में साथ ले जाने योग्य वस्तुएं (शास्त्रसम्मत)

वस्तु
कारण

लाल या केसरी वस्त्र
वीरता और तपस्या का प्रतीक

त्रिशूल और रुद्राक्ष
शिव का प्रतिनिधि

बेलपत्र, धतूरा
शिव को प्रिय

गंगाजल पात्र
जल चढ़ाने के लिए

हल्का भोजन व औषधियां
ऊर्जा व स्वास्थ्य के लिए

कांवड़ यात्रा का दर्शन, क्या केवल जल चढ़ाना ही पर्याप्त है?भोले को याद रखना चाहिए कांवड़ जल नहीं, भाव लेकर चलती है. ये शिव भक्ति की कठिन परीक्षा है, जिसे समर्पण और प्रेम भक्ति से पूर्ण किया जा सकता है.
यदि व्यक्ति यात्रा में केवल बाह्य आडंबर करता है और भीतर विकारों से भरा होता है, तो उसका पुण्य उलटा पाप बन सकता है. इस बात को नहीं भूलना चाहिए. ये यात्रा आदमी से इंसान बनने की दिशा में पहला कदम भी हो सकती है जो आपके भीतर पाप, विकारों का नष्ट करती है और आपको सच्चा और नेक इंसान बनाती है.
कांवड़ यात्रा सनातन परंपरा की विराटता को भी दर्शती है. इसे धूमिल नहीं करना चाहिए इसकी पवित्रता को कायम करते हुए इस यात्रा को पूर्ण करना चाहिए.
जो लोग फैशन या किसी अन्य मकसद से करते हैं उन्हें इस यात्रा का कोई लाभ प्राप्त नहीं होता है बल्कि पाप के भागी भी बनते हैं. समय आने पर कष्ट भी भोगने पड़ते हैं. क्योंकि इस बात को कभी नहीं भूलना चाहिए, आपके कर्म आपके पास लौटकर आते हैं, अंग्रेजी में इसे Karma is Always Back कहते हैं जो 100 फीसदी सत्य है.
शिव महापुराण कहता है
भवस्य भवतो ह्यन्तं, हर्षेण हरिपूजनम्अर्थ: हर्ष और भक्ति से किया गया शिव पूजन ही भवसागर का अंत कर सकता है.
कांवड़ यात्रा एक अनुशासन है, उत्सव नहीं. यह भक्ति और संयम की परीक्षा है. जो इस यात्रा को पूरी निष्ठा, शुद्धता और नियमों के पालन के साथ करता है, वह न केवल शिव कृपा का पात्र बनता है, बल्कि अपने भीतर के अंधकार को भी जलाता है. यही शिव है….यही सत्य है.
FAQप्रश्न: क्या महिलाएं कांवड़ यात्रा कर सकती हैं?उत्तर: हां, कई स्थानों पर महिलाएं भी यह यात्रा करती हैं, लेकिन वे विशेष सावधानी, संयम और सुविधा का पालन करें.
प्रश्न: क्या कोई पहली बार ही पूरी कांवड़ यात्रा कर सकता है?उत्तर: हां, लेकिन उन्हें अनुभवियों के साथ, नियमों के पूर्ण पालन के साथ ही यात्रा करनी चाहिए.
प्रश्न: कांवड़ यात्रा में सबसे बड़ा ‘पाप’ क्या माना जाता है?उत्तर: गंगाजल की अशुद्धि, कांवड़ का गिरना, हिंसा या क्रोध करना सबसे घातक माने गए हैं.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating / 5. Vote count:

No votes so far! Be the first to rate this post.

Related Articles

Leave a Comment