कालका-शिमला फोरलेन अब रामपुर तक, चीन सीमा तक आसान होगा सफर

by Carbonmedia
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Kalka Shimla Four Lane: युद्ध स्तर पर चल रहा कालका-शिमला फोरलेन सड़क का निर्माण कार्य अब शिमला के ढली से आगे रामपुर तक बढ़ाया जाएगा. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह को पत्र लिखकर इस दिशा में आगे बढ़ने की बात कही है. विक्रमादित्य सिंह ने केंद्रीय मंत्री के इस पत्र को अपने सोशल मीडिया अकाउंट में शेयर किया है. अब 156.507 किलोमीटर से बढ़ाकर इस सड़क मार्ग को 281 किलोमीटर रामपुर तक करने कि बात कही गई है.
विक्रमादित्य सिंह ने फोन पर बताया कि ये सड़क सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है. क्योंकि ये सड़क मार्ग हिमाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा पर शिपकी ला (दर्रे) पर समाप्त होता है. उन्होंने बताया कि केंद्रीय मंत्री से दिल्ली दौरे में मुलाकात के दौरान इस सड़क को लेकर बातचीत हुई थी. इसके अलावा भी केंद्रीय मंत्री से भूभुजोत सुरंग सहित घटासनी-शिल्हा-बधानी-भूभुजोत-कुल्लू सड़क के सामरिक महत्व के दृष्टिगत से राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने का आग्रह भी किया गया था. 
सड़क के अधिकांश हिस्से का निर्माण कार्य प्रगति पर हैइसी सड़क मार्ग से सेना की भी आवाजाही होती है. फोरलेन बनने से यात्रा की दूरी 55 किलोमीटर कम होगी. मौजूदा वक्त में कालका से शिमला तक फोरलेन का निर्माण कार्य प्रगति पर है. सोलन तक फोरलेन का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है. सोलन से कैथलीघाट के बीच भी सड़क के अधिकांश हिस्से का निर्माण कार्य प्रगति पर है. इसके अलावा कैथलीघाट से ढली के बीच निर्माण कार्य तेज गति के साथ चल रहा है. अब इस कार्य को ढली से रामपुर तक बढ़ाया जाएगा.
विक्रमादित्य ने बताया कि इसके अतिरिक्त सी.आर.एफ. के तहत 130 करोड़ रुपये की धनराशि शीघ्र जारी करने और राज्य में सी.आर.एफ. कार्यों की वार्षिक सीमा को बढ़ाकर 250 करोड़ रुपये करने का भी आग्रह किया गया है. प्रदेश में बनने वाली सुरंगों के निर्माण का विषय भी उठाया गया है. उम्मीद है जल्द ही इन कार्यों को भी स्वीकृति मिलेगी.
आज इसे एनएच 5 के नाम से जाना जाता हैइंडो तिब्बत सड़क मार्ग भारत की सबसे पुरानी सड़कों में से एक है. इसकी डीपीआर 1850 में तत्कालीन भारतीय वायसराय लॉर्ड डलहौजी ने तैयार की थी. उस समय ये विश्व की सबसे ऊंची सड़क थी.आज इसे एनएच 5 के नाम से जाना जाता है. हिंदुस्तान तिब्बत सड़क मार्ग का निर्माण कालका से शुरू हुआ था. इसका सबसे ऊंचा हिस्सा किन्नौर में बना था. इस सड़क के निर्माण के समय 122 लोगों की मौत हुई थी. यह मार्ग शिमला से 228 मील की दूरी तय करता है.
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