किडनी स्टोन यानी गुर्दे की पथरी और गॉलब्लैडर स्टोन यानी पित्त की थैली की पथरी दो सामान्य, लेकिन गंभीर हेल्थ प्रॉब्लम्स हैं. ये शरीर के अलग-अलग हिस्सों में बनती हैं और इनके कारण, लक्षण, और इलाज में काफी अंतर होता है. आइए जानते हैं कि इन दोनों स्टोन प्रॉब्लम में क्या अंतर है और किसका इलाज ज्यादा मुश्किल है?
किडनी स्टोन और गॉलब्लैडर स्टोन में क्या है अंतर?
किडनी स्टोन और गॉलब्लैडर स्टोन के बीच मुख्य डिफरेंस उनके बनने की जगह, केमिकल कंपोजिशन, और प्रभावित अंगों में हैं. किडनी स्टोन गुर्दे (किडनी) या मूत्रमार्ग में बनती हैं. किडनी का मुख्य काम ब्लड को छानकर पेशाब बनाना है. जब पेशाब में कैल्शियम, ऑक्सलेट, यूरिक एसिड या सिस्टीन जैसे मिनरल्स की मात्रा ज्यादा और पानी की कमी हो जाती है तो ये मिनरल्स क्रिस्टल बनाकर पथरी का रूप ले लेते हैं. वहीं,गॉलब्लैडर स्टोन पित्त की थैली (गॉलब्लैडर) में बनती हैं, जो पाचन तंत्र का हिस्सा है. गॉलब्लैडर का काम लिवर द्वारा निर्मित पित्त (बाइल) को जुटाना है, जो फैट के पाचन में मदद करता है. जब पित्त में कोलेस्ट्रॉल, बिलीरुबिन या अन्य पदार्थों का संतुलन बिगड़ता है तो ये पथरियां बनती हैं.
किडनी और गॉलब्लैडर में क्यों बनते हैं स्टोन?
किडनी में स्टोन बनने की वजह कैल्शियम ऑक्सलेट, कैल्शियम फॉस्फेट, यूरिक एसिड, स्ट्रुवाइट या सिस्टीन होते हैं. इनका आकार रेत के दाने से लेकर कुछ सेंटीमीटर तक हो सकता है.वहीं, गॉलब्लैडर में स्टोन बनने की वजह कोलेस्ट्रॉल या बिलीरुबिन होता है. कोलेस्ट्रॉल से बनी पथरियां पीली होती हैं, जबकि बिलीरुबिन से बनी पथरियां भूरी या काली हो सकती हैं. इनका आकार रेत के दाने से लेकर गोल्फ बॉल तक हो सकता है.
क्या है इन दोनों स्टोन के लक्षण?
किडनी स्टोन के दौरान दर्द आमतौर पर पीठ के निचले हिस्से या पेट के निचले हिस्से में होता है, जो कमर, ग्रोइन (जांघ), या मूत्रमार्ग तक फैल सकता है. अन्य लक्षणों में पेशाब में खून, बार-बार पेशाब आना, जलन, और उल्टी शामिल हैं. कई बार दर्द अचानक और तेज होता है, जो पथरी के मूत्रमार्ग में हिलने पर बढ़ता है. उधर, गॉलब्लैडर स्टोन का दर्द पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से या कंधे और पीठ के बीच होता है. यह दिक्कत उस वक्त ज्यादा होती है, जब आप फैट वाला खाना खाते हैं. अन्य लक्षणों में मतली, उल्टी, बुखार और पीलिया (जॉन्डिस) शामिल हो सकते हैं. यदि पथरी पित्त की नली में रुकावट डालती है तो कोलेसिस्टाइटिस (पित्त की थैली में सूजन) या पैनक्रियाटाइटिस जैसी दिक्कतें हो सकती हैं.
कैसे होता है इन दोनों का इलाज?
किडनी स्टोन और गॉलब्लैडर स्टोन के इलाज में काफी अंतर है. वहीं, इलाज की गंभीरता पथरी के आकार, जगह और मरीज की हालत पर निर्भर करती है. किडनी स्टोन का इलाज इस बात पर तय होता है कि पथरी का आकार कितना बड़ा है और यह मूत्रमार्ग में कहां मौजूद है. इसके अलावा गॉलब्लैडर के स्टोन का इलाज आमतौर पर ज्यादा मुश्किल होता है, क्योंकि ये पथरियां अपने आप निकल नहीं पाती हैं.
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