भास्कर न्यूज| लुधियाना पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (पीएयू) के पॉल ऑडिटोरियम में शुक्रवार को किसान कमेटी और फल-सब्जी उत्पादकों की अहम बैठक हुई। बैठक में पीएयू के वरिष्ठ अधिकारी, फल-सब्जी विशेषज्ञ और बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए। इसमें वैज्ञानिकों ने किसानों को मंडी की मांग के अनुसार फसली चक्र बदलने और फल-सब्जियों की आधुनिक तकनीकों से खेती करने की सलाह दी। विशेषज्ञों ने कहा कि ड्रैगन फ्रूट, अमरूद और किन्नू जैसी उन्नत किस्में किसानों के लिए बेहतर विकल्प हैं। बैठक में आलू बीज उत्पादन की नई तकनीक, धान-बासमती में नमी कम करने और जैविक खेती पर भी चर्चा हुई। यूनिवर्सिटी द्वारा आलू के बीज उत्पादन में नई तकनीकों के विकास से किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले, रोग-मुक्त बीज प्राप्त होंगे, जिससे आलू की पैदावार और गुणवत्ता में सुधार होगा। इससे किसानों की आय भी बढ़ेगी। किसानों ने मक्की, वैकल्पिक फसलों और नए बाग लगाने से जुड़े सवाल रखे, जिनका मौके पर ही समाधान दिया गया। बैठक की शुरुआत निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. मक्खण सिंह भुल्लर के संबोधन से हुई। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि किसान पारंपरिक खेती के दायरे से बाहर निकलें। निदेशक अनुसंधान डॉ. अजमेर सिंह ने बताया कि सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में पीएयू को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। बैठक में किसानों ने पीएयू के वैज्ञानिकों की पहल की सराहना करते हुए कहा कि अगर इन तकनीकों को सही तरह से अपनाया जाए तो फसल उत्पादन के साथ-साथ मुनाफा भी बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने मंडी में मांग के अनुसार फल और सब्ज़ियों की वैज्ञानिक खेती अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पीएयू ने ऐसी कई उन्नत किस्में और तकनीकें विकसित की हैं, जिनसे किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। उन्होंने ड्रैगन फ्रूट, अमरूद और किन्नू की उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी दी और किसानों को इन्हें अपनाने के लिए प्रेरित किया। अतिरिक्त निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. जीपीएस सोढ़ी ने पिछली बैठक की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि पीएयू और इसके क्षेत्रीय केंद्र किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता से सुलझा रहे हैं। उन्होंने कहा कि फसल विविधिकरण के लिए यूनिवर्सिटी की टीमें लगातार गांवों में जाकर किसानों को प्रशिक्षित कर रही हैं। इस दौरान अपर निदेशक संचार डॉ. तजिंदर सिंह रियार ने किसानों की ओर से पूछे गए सवालों को प्रस्तुत किया। किसानों ने मक्की और वैकल्पिक फसलों को बढ़ावा देने, धान और बासमती की नमी कम करने, जैविक खेती और नए बाग लगाने से जुड़े मुद्दे उठाए। संबंधित विशेषज्ञों ने मौके पर ही किसानों की शंकाओं का समाधान किया। उन्होंने भरोसा दिलाया कि किसानों के सुझावों को अगली बैठक में लागू करने पर विचार किया जाएगा।
किसानों को फल और सब्जियों की वैज्ञानिक खेती अपनाने की सलाह दी गई
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