UP News: किसानों की आय बढ़ाने के लिए योगी सरकार लगातार नई तकनीकों को बढ़ावा दे रही है. इसी कड़ी में अब सरकार खरीफ की प्रमुख फसल धान की सीधी लाइन से बोआई को प्रोत्साहित कर रही है. कृषि विभाग और कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर किसान गेहूं की तरह धान की भी लाइन से सीधी बोआई करें, तो उनकी प्रति हेक्टेयर खेती की लागत करीब ₹12,500 तक घट सकती है, और उपज भी उतनी ही होगी जितनी पारंपरिक विधि से होती है.
गोरखपुर के कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के वैज्ञानिक डॉ. एसके तोमर और मनोज कुमार के अनुसार, सीधी बोआई से नर्सरी, पलेवा, रोपाई और श्रमिकों पर होने वाला खर्च बच जाता है. इसके अलावा जीरो टिल ड्रिल, हैप्पी सीडर जैसे आधुनिक यंत्रों से यह काम बेहद आसानी से हो जाता है. यही नहीं, लाइन से बोआई होने पर पौधों को खाद की उपलब्धता भी बेहतर होती है और फसल सुरक्षा के उपायों में भी सहूलियत मिलती है.
खेती से जुड़ी कुछ जरूरी बातें भी बताई गई
सरकार इस तकनीक को अपनाने वाले किसानों को कृषि यंत्रों पर 50% तक अनुदान भी दे रही है. विभाग की सलाह है कि किसान जिस फसल के लिए लाइन बोआई उपयुक्त हो, वह लाइन से बोएं और जिन फसलों के लिए बेड की जरूरत हो, उन्हें बेड पर बोएं. धान की सीधी बोआई का सबसे सही समय जून का तीसरा सप्ताह माना जाता है. खासकर 10 से 20 जून के बीच बोआई करने से फसल बेहतर तैयार होती है. बाढ़ प्रभावित इलाकों में किसान इससे पहले ही बोआई कर लें, ताकि बाढ़ आने तक पौधों की जड़ें मजबूत हो जाएं.
- बीज की मात्रा: मोटे और मध्यम दाने वाले धान के लिए 35 किलो, महीन के लिए 25 किलो और संकर प्रजातियों के लिए 8 किलो बीज प्रति हेक्टेयर.
- खाद का अनुपात: प्रति हेक्टेयर 150:60:60 किलो एनपीके चाहिए. बोआई के समय 130 किलो डीएपी दें, बाकी खाद को दो-तीन बार सिंचाई से पहले या बाद में दें.
- बीज का उपचार: बीज को 3 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलो बीज से उपचारित करें.
- गहराई की सेटिंग: बीज को 2-3 सेंटीमीटर गहराई तक ही गिराएं. इससे अंकुरण अच्छा होता है.
खरपतवार नियंत्रण भी जरूरी
धान के खेतों में बारिश के मौसम में खरपतवार तेजी से फैलते हैं. बोआई के 24 घंटे बाद खेत में नमी रहते हुए पैडी मिथीलिन 30 ईसी की 3.3 लीटर मात्रा को 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें. 25 दिन बाद नोमिनीगोल्ड या एडोरा की 100 मिली मात्रा को 150 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से अधिकतर खरपतवार नियंत्रित हो जाते हैं. मोथा जैसी घासों के लिए सनराइस 50-60 ग्राम भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
भारत में धान की खेती मुख्य रूप से पारंपरिक विधि से होती है जिसमें नर्सरी तैयार कर रोपाई की जाती है. लेकिन इससे किसानों की लागत और मेहनत दोनों अधिक बढ़ जाती है. केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर अब कृषि को आधुनिक बनाने की दिशा में प्रयासरत हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए “विकसित भारत संकल्प अभियान” के तहत किसानों को नई तकनीकों से जोड़ने का लक्ष्य है. योगी सरकार भी इस दिशा में पूरी ताकत से जुटी हुई है. सरकार की अपील है कि किसान नई तकनीकों को अपनाकर कम लागत में अधिक मुनाफा पाएं और अपने खेतों से प्रदेश और देश की खुशहाली का रास्ता बनाएं.
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