Shehzad Khan On Father Ajit: अजित ने हिंदी फिल्मों में विलेन के किरदार में खूब पॉपुलैरिटी बटोरी थी. लीजेंडरी एक्टर का ‘मोना डार्लिंग’ डायलॉग आज भी फेमस है. 1970 के दशक के हिंदी सिनेमा में अपने शानदार व्यक्तित्व और यादगार “लॉयन” परसोना के लिए जाने जाने वाले अजीत (जन्म हामिद अली खान) ने सिल्वर स्क्रीन पर राज किया. उन्होंने कालीचरण, जंजीर, यादों की बारात से खूब शौहरत हासिल की. उन्हें शेर कहा जाने लगा था. वहीं अजित के बेटे शहजाद खान भी पिता की तरह ही एक्टर बनना चाहते थे. हालांकि उनके पिता ने अभिनय करियर बनाने में उनकी कोई मदद नहीं की. शहजाद खान ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपने पिता को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं.
‘उन्हें मत बताना कि मैं तुम्हारा पिता हूं’
लेहरन रेट्रो से बात करते हुए, शहजाद ने कहा, “मुझे अपने अभिनय करियर के बारे में अपने पिता से कभी कोई सपोर्ट नहीं मिला.” अपने विशाल प्रभाव के बावजूद, अजीत ने ये क्लियर कर दिया था कि वह अपने बेटे शहजाद के लिए इंडस्ट्री में किसी से कोई सिफारिश नहीं करेंगे. यहां तक कि उन्होंने शहजाद को अपने पिता-पुत्र के रिश्ते को छिपाने का सुझाव भी दिया था.
पिता को था डर
शहजाद ने याद करते हुए कहा, “उन्होंने मुझसे कहा था कि वे कभी मेरे लिए कोई फिल्म नहीं बनाएंगे, न ही मुझे किसी निर्देशक या निर्माता के पास भेजेंगे” शहजाद ने इसे लेकर आगे कहा, “मुझे लगता है कि मेरे पिता थोड़े इनसिक्योर थे. उन्हें डर रहा होगा कि अगर मैं उनके मानकों पर खरा नहीं उतरा, तो इससे उनकी विरासत धूमिल हो सकती है.”
शॉर्टकट न होने के बावजूद, शहजाद ने दृढ़ता से काम किया और आखिरकार ‘अंदाज़ अपना अपना’ में भल्ला के रूप में कॉमिल रोल और ‘क़यामत से क़यामत तक’ और ‘भारत’ जैसी फ़िल्मों में काम करके लोगों का दिल जीत लिया.