पराली जलाने से दिल्ली-एनसीआर में होने वाले प्रदूषण के मामले में बुधवार (17 सितंबर, 2025) को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा करने वाले कुछ किसानों को जेल भेजना चाहिए, ताकि दूसरों को भी मैसेज जाए और यह तरीका एक निवारक के रूप में काम कर सकता है. कोर्ट हर साल अक्टूबर में पराली जलाने से दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर बढ़ने के मामले में दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था.
मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई (CJI BR Gavai) और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच को एमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने बताया कि किसानों को पराली जलाने की समसया से निपटने के लिए सब्सिडी और उपकरण का ऑफर दिया गया, लेकिन उनकी वही कहानियां हैं जो वह पहले से सुप्रीम कोर्ट के सामने बताते रहे हैं.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार अपराजिता सिंह ने कहा, ‘पिछली बार किसानों ने कहा कि उन्हें तब पराली जलाने से मना किया गया है जब उस इलाके से सैटेलाइट गुजरेगी. मैं क्षमा चाहती हूं, लेकिन साल 2018 से सुप्रीम कोर्ट ने बड़े-बड़े आदेश दिए हैं और किसान आपके सामने सिर्फ अपनी बेबसी का बहाना बना रहे हैं.’
दंडात्मक प्रावधान क्यों नहीं बनाती हैं सरकारें? बोला सुप्रीम कोर्टएमिकस क्यूरी की बातों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रशासन क्यों इस मुद्दे को हल करने के लिए सख्त प्रावधान नहीं बना रहा है. सीजेआई बी आर गवई ने कहा, ‘अगर कुछ लोगों को जेल भेजा जाएगा, तो इससे बाकियों को सही संदेश जाएगा. प्रशासन क्यों किसानों के लिए दंडात्मक प्रावधान बनाने के बारे में नहीं सोच रहा है. अगर आप सच में पर्यावरण को बचाना चाहते हैं, तो ऐसा करने में आपको शर्म क्यों आ रही है?’ मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा कि किसानों का हमारे लिए विशेष दर्जा है, हमें उनकी वजह से अन्न मिलता है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि वह इस बात का फायदा उठाएंगे.
CJI गवई की सलाह पर क्या बोले राज्य?सीजेआई गवई की इस सलाह पर राज्यों ने कहा कि पराली जलाने पर उन्होंने कुछ किसानों को गिरफ्तार किया, लेकिन उनमें ज्यादातर छोटे किसान थे. अगर उनको गिरफ्तार किया गया तो जो लोग उन पर निर्भर हैं, उनका क्या होगा. इस पर सीजेआई गवई ने कहा कि वह इसे रुटीन बनाने के लिए नहीं कह रहे हैं, सिर्फ एक संदेश देने के लिए ऐसा करने के लिए कहा है.
पंजाब सरकार के वकील राहुल मेहरा ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि पराली जलाने के मामलों में अब कमी आई है और आने वाले सालों में ये मामले और कम होंगे. हर साल अक्टूबर-नवंबर के महीने में हरियाणा और पंजाब के किसान पराली जलाते हैं, जिसके धुएं की वजह से दिल्ली एनसीआर का प्रदूषण लेवल बढ़ जाता है. किसान खेतों को साफ करने के लिए फसल के अवशेषों को जलाते हैं. इसके लिए उनके पास दूसरा तरीका ये है कि वे मजदूरों की मदद से या मशीनों से इन्हें हटाएं, जिसे लेकर किसानों का कहना है कि उनके लिए ये दोनों तरीके बहुत महंगे पड़ते हैं.
‘कुछ को जेल भेजो, ये हमें अन्न देते हैं तो इसका मतलब….’, पराली जला रहे किसानों के लिए राज्यों से बोले CJI गवई
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