कुरुक्षेत्र की जाट धर्मशाला में भारतीय किसान यूनियन चढूनी (भाकियू) की स्टेट लेवल की बैठक हुई। इस बैठक में संगठन के विस्तार पर फैसला लिया गया। इसके लिए प्रदेश के प्रत्येक जिले में हर महीने तय तारीख पर बैठक होगी। इसी तर्ज पर हर ब्लॉक की तारीख भी तय की जाएगी, ताकि संगठन को मजबूत और सक्रिय बनाया जा सके। सूरजमुखी की खरीद नहीं हो रही गुरनाम सिंह चढूनी ने बताया कि सूरजमुखी की फसल को लेकर किसानों की चिंता गहराती जा रही है। सरकार सूरजमुखी का एक-एक दाना खरीदने का दावा कर रही है, लेकिन हकीकत में सूरजमुखी की फसल को मंडी में आए हुए एक हफ्ते से ज्यादा हो गया है और अब तक खरीद शुरू नहीं हुई है। इसके लिए भाकियू ने सरकार को पत्र भेजने के साथ-साथ सोशल मीडिया पर वीडियो टैग करके खरीद की मांग की है। खरीद नहीं तो सड़कों पर होंगे किसान सरकार की ओर से 1 जून से फसल खरीद की बात कही जा रही है, मगर सूरजमुखी पहले ही मंडी में आ चुकी है। फिर खरीद में देरी क्यों? अगर समय पर खरीद शुरू नहीं हुई, तो किसानों को सड़कों पर उतरना पड़ेगा। साथ ही सरकार अगर एक ही दुकान से सारी खरीद की बात कह रही है, तो ये व्यवस्था पूरी तरह असफल होगी। पिछले साल जैसी व्यवस्था लागू की जाए, ताकि किसी को कोई परेशानी न हो। टैरिफ का सच सामने लाए सरकार भाकियू के प्रधान चढूनी ने कहा कि अगर अमेरिका से आयात शुल्क (टैरिफ) घटाया गया, तो भारत की कृषि और पशुपालन व्यवस्था बर्बाद हो जाएगी। अमेरिका का किसान 2000 एकड़ में खेती करता है और भारत का किसान मुश्किल से 2 एकड़ में। ऐसे में मुकाबला नामुमकिन है। टैरिफ घटा तो भारत की सात प्रमुख फसलें, डेयरी और पोल्ट्री उद्योग संकट में आ जाएंगे। इसको लेकर भारत के प्रधानमंत्री को अमेरिका के राष्ट्रपति से बातचीत करनी चाहिए।
कुरुक्षेत्र में भाकियू ने उठाई सूरजमुखी खरीद की मांग:धर्मशाला में बैठक की; संगठन की मजबूती पर बात; चढूनी बोले- टैरिफ का सच बताए सरकार
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