कुल्लू राजघराने के प्रमुख देवता ऋषि मार्कण्डेय थरास पहली बार मंडी शहर की यात्रा करेंगे। एक भक्त के आमंत्रण पर 26 मई से उनका ऐतिहासिक दौरा शुरू होगा। वे अपने अनुज महर्षि मार्कण्डेय औट के साथ नैना माता मंदिर खलियार में विराजेंगे। महर्षि मार्कण्डेय थरास कुल्लू और मंडी के सात मार्कण्डेय देवरथों में सर्वोच्च स्थान रखते हैं। उनका मूल स्थान कुल्लू जिले में ब्यास नदी के तट पर मकराहड़ थरास में है। यह स्थान सात मार्कण्डेय की तपोस्थली के रूप में प्रसिद्ध है। यहीं से उन्होंने जनकल्याण की यात्रा प्रारंभ की थी। मंडी जनपद में मार्कण्डेय ऋषि औट, सुनारु, कटुरनी और कुल्लू जनपद में मार्कण्डेय मंगलौर, बलागाढ़ और पेड़चा में उनके छह भाई विराजमान हैं। उनके रथ की विशेषता है कि इसमें मार्कण्डेय ऋषि और महादेव के त्रिनेत्रधारी स्वरूप का अद्भुत संगम दिखाई देता है। 26 मई को दोपहर 2 बजे भीमाकाली मंदिर में उनका आगमन होगा। नगर निगम मेयर वीरेंदर भट्ट, नैना माता मंदिर के प्रधान धीरज टंडन और सुनार एसोसिएशन के प्रधान आशुतोष पाल चोपड़ा सहित अन्य गणमान्य लोग उनका स्वागत करेंगे। इसके बाद राजमाधव और बाबा भूतनाथ से उनका दिव्य मिलन होगा। नैना माता मंदिर कमेटी के प्रेस सचिव आशीष टंडन ने बताया कि मंडी के निवासी महामृत्युंजय मंत्र के रचयिता ऋषि मार्कण्डेय के देवरथों के आगमन की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे हैं।
कुल्लू के आराध्य देव ऋषि मार्कण्डेय पहली बार मंडी आएंगे:26 मई को भीमाकाली मंदिर में होगा स्वागत, राजमाधव और बाबा भूतनाथ से मिलेंगे
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