धर्मशाला में आपातकाल की 50वीं बरसी पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने कांग्रेस और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि 25 जून 1975 को इंदिरा गांधी ने आंतरिक अशांति का बहाना बनाकर देश पर आपातकाल लागू किया। मल्होत्रा ने बताया कि यह फैसला किसी राष्ट्रीय आपदा या युद्ध के कारण नहीं लिया गया। इसके पीछे चुनाव में मिली कानूनी चुनौती और सत्ता बचाने की चिंता थी। आपातकाल के दौरान न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका को नियंत्रित कर लिया गया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस दौरान प्रेस की स्वतंत्रता समाप्त कर दी गई। बड़े अखबारों की बिजली काटी गई। सेंसरशिप लगाई गई। सैकड़ों पत्रकारों को जेल में डाला गया। मल्होत्रा ने संजय गांधी पर भी आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि संजय गांधी ने बिना किसी पद के सत्ता का दुरुपयोग किया। जबरन नसबंदी अभियान चलाया। एक साल में 60 लाख से अधिक लोगों की नसबंदी कराई गई। इनमें 16 से 70 साल तक के लोग शामिल थे। आपातकाल का कोई संवैधानिक आधार नहीं था- मंत्री
मंत्री ने बताया कि आपातकाल की जांच के लिए बनाए गए शाह आयोग ने 6 अगस्त 1978 को अपनी रिपोर्ट दी। इसमें कहा गया कि आपातकाल का कोई संवैधानिक आधार नहीं था। 1980 में सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सरकार ने इस रिपोर्ट को नष्ट करवा दिया। उन्होंने कहा कि एडीएम जबलपुर बनाम शिवकांत शुक्ला मामले में कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अगर आपातकाल के दौरान किसी नागरिक को गोली भी मार दी जाए, तब भी उसे अदालत में जाने का हक नहीं है। जस्टिस एच.आर. खन्ना ने अकेले सरकार के खिलाफ फैसला सुनाया, लेकिन उन्हें मुख्य न्यायाधीश बनने से वंचित कर दिया गया। मंत्री ने कहा कि कांग्रेस आज संविधान की दुहाई देती है, लेकिन वही कांग्रेस कभी प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को भंग कर प्रेस की आवाज को कुचल चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि आज भी कांग्रेस डिजिटल मीडिया पर फर्जी खबरें फैलाने वालों को संरक्षण देती है और वैचारिक विरोधियों पर मुकदमे कर रही है।
केंद्रीय मंत्री बोले-इंदिरा ने सत्ता बचाने के लिए इमरजेंसी लगाई:धर्मशाला में कहा- प्रेस की आजादी छीनी, 60 लाख लोगों की नसबंदी कराई
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