Kedarnath Dham Yatra 2025: उत्तराखण्ड हाईकोर्ट के निर्णय के बाद केदारनाथ यात्रा में सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद किसी भी घोड़े-खच्चर का संचालन नहीं होगा. यदि किसी घोड़े-खच्चर संचालक की ओर से जबरन नियमों को तोड़कर संचालन किया जाता है तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी. तहसील प्रशासन ऊखीमठ और पशुपालन विभाग की ओर से इस दिशा में कड़ी नजर रखी जा रही है.
केदारनाथ धाम की यात्रा में हजारों घोड़े-खच्चरों का संचालन होता है. कुछ घोड़े-खच्चर यात्रियों को तो कुछ आवश्यक सामग्री को धाम तक ढ़ोते हैं. बीच में घोड़े-खच्चरों में संक्रमण भी फैल गया था. जिस कारण कुछ दिनों तक घोड़े-खच्चरों की आवाजाही बंद रही. बाद में सभी घोड़े-खच्चरां को पशुपालन विभाग ने क्वारंटीन किया और उचित देखभाल के बाद सभी स्वस्थ्य हो गये.
यात्रा मार्ग पर स्वस्थ घोड़े-खच्चरों का हो रहा संचालन
अब यात्रा मार्ग पर स्वस्थ घोड़े-खच्चरों का ही संचालन किया जा रहा है. स्वास्थ्य जांच के बाद जिस घोड़े-खच्चर को पशु चिकित्सक की ओर से फिटनेस प्रमाण पत्र मिल रहा है, उसी घोड़े-खच्चर को आवाजाही करने की अनुमति दी जा रही है. फिलहाल पांच हजार घोड़े-खच्चरों का संचालन केदारनाथ धाम की यात्रा में हो रहा है. घोड़े-खच्चरों के स्वास्थ्य जांच के लिये सात पशु चिकित्सकों की टीमे अलग-अलग स्थानों पर तैनात हैं.
घोड़े-खच्चरों के संचालन के लिए पंजीयन अनिवार्य
घोड़े-खच्चरों की स्थिति पर हाईकोर्ट ने भी सज्ञान लिया. हाईकोर्ट के निर्णय के अनुसार सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद किसी भी तरह से घोड़े-खच्चरों का संचालन नहीं किया जायेगा. जिन घोड़े-खच्चरों का संचालन यात्रा मार्ग पर होगा, उनका पंजीकरण आवश्यक रूप से होना चाहिये.
साथ ही उनके स्वास्थ्य की जांच भी आवश्यक है. किसी भी घोड़े-खच्चर का संचालन आधे रास्ते नहीं होगा. यदि कोई नियमों का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी. तहसील प्रशासन और पशुपालन विभाग की टीमें इस दिशा में नजर बनाए हुए हैं.
(रोहित डिमरी की रिपोर्ट)
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