कैंसर से जूझने वाले लाखों मरीजों को ठीक होने के बाद भी एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है जो है मांसपेशियों की कमजोरी. यह कमजोरी इतनी गंभीर हो सकती है कि मरीजों को सीढ़ियां चढ़ना या रोजमर्रा का सामान उठाने में भी दिक्कत होने लगती है. अब इस परेशानी की वजह एक नई स्टडी में सामने आई है जो मशहूर जर्नल नेचर कैंसर में पब्लिश हुई है. ट्यूमर का असर सिर्फ जहां है वही नहीं रहता इस स्टडी में वैज्ञानिकों ने पाया कि कैंसर ट्यूमर की मांसपेशियों से काफी दूर होने के बावजूद भी मांसपेशियों में खून की आपूर्ति करने वाली ब्लड सेल्स को नुकसान पहुंचा सकता है. जब सेल्स हेल्दी नहीं रहती तो पोषक तत्व और ऑक्सीजन सही तरीके से मांसपेशियों तक नहीं पहुंच पाते हैं जिससे मांसपेशियों की ताकत धीरे-धीरे खत्म होने लगती है.एक्टिविन-ए नाम का प्रोटीन है जिम्मेदार रिसर्च में यह भी पाया गया कि कैंसर ट्यूमर एक खास प्रोटीन एक्टिविन-ए रिलीज करता है. जो मांसपेशियों में खून की नालियों को लीक करने लगता है. इससे न सिर्फ खून का बहाव कम होता है बल्कि मांसपेशियों तक जरूरी पोषक तत्व भी नहीं पहुंच पाते और कमजोरी शुरू हो जाती है. रिसचर्स ने जब जिनी थेरेपी के जरिए एक्टिविन-ए के असर को कम किया तो रख ब्लड सेल्स की सेहत सुधरी और मांसपेशियों की कमजोरी भी रोकी जा सकी.कैंसर खत्म होने के बाद भी क्यों रहती है कमजोरी कैंसर कैशेक्सिया नाम की यह स्थिर कैंसर के मरीजों में आम है. जिसमें मांसपेशियों का वजन तेजी से कम होने लगता है. रिसर्च बताता है कि लगभग 80 प्रतिशत एडवांस स्टेज कैंसर मरीजों में यह समस्या होती है. हैरानी की बात यह है कि इलाज के बाद जब कैंसर खत्म हो जाता है तब भी मांसपेशियों की ताकत वापस नहीं आती, क्योंकि खून की नलियां पहले से ही खराब हो जाती हैं. इलाज की दिशा में हो रहा है काम हालांकि अभी तक एफडीए की तरफ से कोई खास दवा कैंसर कैशेक्सिया के लिए मंजूर नहीं की गई. लेकिन कई नई थैरेपीज और एक्सरसाइज प्रोग्राम पर रिसर्च चल रही है. कुछ दवाएं भूख बढ़ाने के लिए काम कर रही है तो कुछ न्यूट्रिशन और मांसपेशी पुनर्निर्माण को टारगेट कर रही है. रिसचर्स अब उन दवाओं और एक्सरसाइज प्रोग्राम्स की टेस्टिंग कर रहे हैं जो सामान्यत हार्ट के मरीजों की ब्लड सेल्स सेहत को सुधारने के लिए दी जाती है. ताकि कैंसर मरीजों में भी मांसपेशी ताकत लौटाई जा सके. इस रिसर्च से साफ होता है कि कैंसर का इलाज सिर्फ ट्यूमर हटाना नहीं है. बल्कि उसके बाद शरीर को फिर से मजबूत करना भी उतना ही जरूरी है. मांसपेशियों की कमजोरी को नजर अंदाज करना मरीज की जिंदगी की गुणवत्ता पर बड़ा असर डाल सकता है. ऐसे में जरूरी है कि कैंसर मरीजों को सही देखभाल मिले जिसमें कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ पर भी फोकस हो.
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