कैथल में रोडवेज डिपो एक तो पहले ही खराब बसों की समस्या से जूझ रहा है। दूसरी ओर अब फिर से कैथल डिपो में बीएस 4 तकनीक की 12 कंडम बसें भेजी गई हैं। ये बसें पलवल जिले से भेजी गई है। पुरानी बसें होने के कारण इनको दिल्ली, चंडीगढ़ व एनसीआर क्षेत्र में नहीं भेजा जा सकता था। कैथल जिला एनसीआर में नहीं आता तो इस कारण इन बसों को कैथल भेजा गया है। जर्जर हालत की इन बसों के चलते यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ सकती है। मरम्मत में लगेगा समय कार्यशाला में काम कर रहे कर्मचारी ने बताया कि इन बसों की मरम्मत करने में समय लगेगा। इसके साथ ही डिपो पर खर्च का भार बढ़ जाएगा। बता दें कि आठ महीने पहले भी 48 खस्ताहाल बसों को एनसीआर क्षेत्रों से कैथल डिपो में भेजा गया था। अब इन बसों के आने से स्थिति और बिगड़ गई है। 10 वर्ष के लंबे अंतराल के बाद 2023 में बीएस-6 तकनीक की करीब 90 बसें आई थी। इसके करीब एक साल बाद ही वर्ष 2024 में सरकार ने वायु प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर कैथल डिपो से बीएस-6 तकनीक की 78 बसें एनसीआर क्षेत्र के लिए भेज दी थीं। बदले में मिली बीएस-3 और बीएस-4 तकनीक की 48 पुरानी बसें, जिनकी मरम्मत में एक से डेढ़ महीना लग गया था। कर्मचारियों में रोष रोडवेज कर्मचारी यूनियन के सदस्यों ने इस फैसले पर रोष प्रकट करते हुए कहा कि बीएस-6 तकनीक की बसों के बदले बीएस-3 और बीएस-4 की पुरानी बसें भेजना सीधे-सीधे यात्रियों के साथ धोखा तो है ही, इसके साथ ही यात्रियों की जान भी जोखिम में डालने जैसा है। इन बसों से लंबे रूट पर चलने की उम्मीद नहीं की जा सकती। डिपो में आई बसों की हालत बेहद खराब है। यहां तक कि उनकी बॉडी तक जर्जर है। कैथल डिपो में वर्कशॉप प्रबंधक अनिल ने बताया कि सरकार के निर्देशानुसार एनसीआर क्षेत्र में बीएस 6 तकनीक की बसों के संचालन के लिए कमेटी बनी है। उसी के आदेशों पर यह अदला-बदली की जा रही है। कैथल जिला एनसीआर में नहीं आता, इसलिए यहां से बीएस-6 बसें हटाकर अन्य जिलों को दी गई हैं।
कैथल डिपो में रोडवेज ने भेजी 12 खटारा बसें:एनसीआर से हटाकर कैथल लगाई, करनी होगी मरम्मत
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