Emergency 50 Years: 25 जून की तारीख ने इमरजेंसी के पन्नों को एक बार फिर खोल कर रख दिया है. 1975 में इसी दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देश में आपातकाल की घोषणा की गई थी. देश भर में इसे लेकर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. इस अवसर पर जहां बीजेपी इसे ‘संविधान हत्या दिवस’ बताकर कांग्रेस पर हमलावर है, वहीं कांग्रेस ने पलटवार करते हुए बीजेपी को वर्तमान में संविधान के मूल्यों के उल्लंघन का दोषी ठहराया है. देशभर में नेताओं के बयान सामने आ रहे हैं, जिससे यह मुद्दा फिर चर्चा में आ गया है.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इमरजेंसी की आलोचना करते हुए कहा, “50 साल पहले लोकतंत्र को खत्म करने की कोशिश की गई थी. इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाकर विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया और संविधान में ऐसे बदलाव किए, जिससे बाबा साहेब आंबेडकर का सपना कुचला गया.”
हम इसे काला दिवस मानते हैं- एकनाथ शिंदेवहीं दूसरी ओर, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इसे ‘काला दिवस’ बताते हुए कहा, “25 जून 1975 को आपातकाल लगाया गया था, आज इसके 50 साल हो रहे हैं और संविधान हत्या दिवस मनाया जा रहा है. हम इसे काला दिवस मानते हैं. सत्ता बचाने के लिए लोकतंत्र को खत्म किया गया, आपातकाल के विरोध में लोग सड़कों पर उतरे तो उन्हें जेल में डाल दिया गया.”
उन्होंने कहा, “बालासाहेब ठाकरे जो भी कहते थे, खुलकर कहते थे, उन्होंने साफ कहा था कि अगर यह आपातकाल राष्ट्रहित के लिए है तो मैं इसका समर्थन करता हूं और अगर यह किसी की कुर्सी, सत्ता बचाने के लिए है तो मैं इसका विरोध करता हूं. जब मीडिया को कुचला गया तो इसके खिलाफ सबसे पहले आवाज उठाने वाले व्यक्ति बालासाहेब ठाकरे थे.”
UP के CM के टेबल पर मनुस्मृति रखी जाती है, संविधान नहीं- वेट्टीवारकांग्रेस की ओर से भी तीखा पलटवार हुआ है. नागपुर में कांग्रेस नेता विजय वेट्टीवार ने कहा, “जो लोग खुद हर दिन संविधान की हत्या करते हैं, वे आज इसे ‘संविधान हत्या दिवस’ बता रहे हैं. जिनकी विचारधारा ने 55 साल तक तिरंगा नहीं फहराया, वे आज लोकतंत्र की बात कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के टेबल पर मनुस्मृति रखी जाती है, संविधान नहीं. इमरजेंसी की आलोचना करने वाले पहले यह देखें कि आज अघोषित आपातकाल जैसे हालात हैं.” वेट्टीवार ने बीजेपी पर सीधे तौर पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया.
गौरतलब है कि 25 जून 1975 की रात देश में आपातकाल लागू करने की घोषणा की गई थी. उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं. इमरजेंसी का विरोध कोई नया नहीं है, पिछली बीजेपी सरकारें भी लगातार इसकी आलोचना करती रही हैं, लेकिन अब जब 50 साल पूरे हो गए हैं, तो यह दिन एक बार फिर राजनीतिक विवादों का केंद्र बन गया है.
‘कोई बता रहा ‘काला अध्याय’, तो कोई कस रहा मनुस्मृति पर तंज! इमरजेंसी के 50 साल पर नेताओं के तीखे बयान
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