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परिवार का मजबूत साथ
अक्षत की मां वैशाली चौरासिया कोटा में उनके साथ ही रहीं. वह बतौर गृहिणी बेटे का पूरा ध्यान रखती थीं. अक्षत ने कहा मम्मी के साथ होने से मुझे न सिर्फ इमोशनल सपोर्ट मिला, बल्कि मानसिक रूप से भी मैं स्थिर रहा. यह तैयारी के दौरान बहुत जरूरी होता है. उनके पिता मनोज कुमार चौरासिया सरकारी नौकरी में हैं. अक्षत की बड़ी बहन ट्रिपलआईटी भागलपुर से बीटेक कर चुकी हैं और उन्होंने अक्षत को लगातार गाइड किया.
देश के सबसे कठिन इंजीनियरिंग एग्जाम माने जाने वाले जेईई एडवांस्ड 2025 में वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के अक्षत चौरसिया ने ऑल इंडिया रैंक 6 हासिल कर सबको चौंका दिया है. कोटा में दो साल की मेहनत और लगन से पढ़ाई करने वाले अक्षत ने यह साबित कर दिया कि अगर इरादा मजबूत हो और माहौल सही मिले, तो कोई भी मुकाम दूर नहीं.
अक्षत की पढ़ाई की कहानी सिर्फ जेईई की नहीं है. उन्होंने 10वीं में 97.2% और 12वीं में 97% अंक हासिल किए. खास बात यह है कि उन्होंने 12वीं में मैथ्स और केमिस्ट्री दोनों में 100 में से 100 अंक प्राप्त किए हैं. इससे यह साफ है कि अक्षत की नींव शुरू से ही मजबूत रही है.
जेईई मेन में भी रहा शानदार प्रदर्शन
जेईई एडवांस्ड से पहले अक्षत ने जेईई मेन 2025 में ऑल इंडिया रैंक 72 हासिल की थी. यह सफर आसान नहीं था, लेकिन अक्षत की मेहनत और स्मार्ट स्ट्रैटजी ने उन्हें हर मुकाम पर सफलता दिलाई.
जेईई एडवांस्ड से पहले अक्षत ने जेईई मेन 2025 में ऑल इंडिया रैंक 72 हासिल की थी. यह सफर आसान नहीं था, लेकिन अक्षत की मेहनत और स्मार्ट स्ट्रैटजी ने उन्हें हर मुकाम पर सफलता दिलाई.
कोटा में मिला पढ़ाई का सही माहौल
अक्षत ने बताया कि वह जब टैलेंटेक्स एग्जाम में टॉप 25 में आए थे, तभी पहली बार कोटा आए थे. यहीं उन्हें महसूस हुआ कि कोटा केवल एक शहर नहीं, बल्कि छात्रों के सपनों की उड़ान का मैदान है. अक्षत ने कहा यहां हर गली में पढ़ाई का जुनून है. हर छात्र एक-दूसरे को देखकर प्रेरणा लेता है. अगर मैं कोटा नहीं आता, तो शायद आज इस रैंक तक नहीं पहुंच पाता.
अक्षत ने बताया कि वह जब टैलेंटेक्स एग्जाम में टॉप 25 में आए थे, तभी पहली बार कोटा आए थे. यहीं उन्हें महसूस हुआ कि कोटा केवल एक शहर नहीं, बल्कि छात्रों के सपनों की उड़ान का मैदान है. अक्षत ने कहा यहां हर गली में पढ़ाई का जुनून है. हर छात्र एक-दूसरे को देखकर प्रेरणा लेता है. अगर मैं कोटा नहीं आता, तो शायद आज इस रैंक तक नहीं पहुंच पाता.
परिवार का मजबूत साथ
अक्षत की मां वैशाली चौरासिया कोटा में उनके साथ ही रहीं. वह बतौर गृहिणी बेटे का पूरा ध्यान रखती थीं. अक्षत ने कहा मम्मी के साथ होने से मुझे न सिर्फ इमोशनल सपोर्ट मिला, बल्कि मानसिक रूप से भी मैं स्थिर रहा. यह तैयारी के दौरान बहुत जरूरी होता है. उनके पिता मनोज कुमार चौरासिया सरकारी नौकरी में हैं. अक्षत की बड़ी बहन ट्रिपलआईटी भागलपुर से बीटेक कर चुकी हैं और उन्होंने अक्षत को लगातार गाइड किया.
टीचर्स और तैयारी का तरीका
अक्षत का मानना है कि उनके सफर में कोचिंग के अध्यापकों की बहुत बड़ी भूमिका रही. उन्होंने कहा मेरे टीचर्स ने पूरी मेहनत और समर्पण से मुझे पढ़ाया. स्टडी मटेरियल और मॉड्यूल्स ने मेरी तैयारी को दिशा दी.
अक्षत का मानना है कि उनके सफर में कोचिंग के अध्यापकों की बहुत बड़ी भूमिका रही. उन्होंने कहा मेरे टीचर्स ने पूरी मेहनत और समर्पण से मुझे पढ़ाया. स्टडी मटेरियल और मॉड्यूल्स ने मेरी तैयारी को दिशा दी.
इनपुट: दिनेश कश्यप