कोठे वाहेगुरुपुरा के अमृतपाल ने नौकरी छोड़ जैविक खेती अपनाई:150 किस्मों के बीज बनाकर बिक्री, 100 किसान जुड़े, तीन को दिया पक्का रोजगार

by Carbonmedia
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बरनाला जिले के कोठे वाहेगुरु पुरा गांव के किसान अमृतपाल सिंह (35 वर्ष) ने जैविक खेती और बीज अनुसंधान पर बेहतरीन काम किया है। 11 साल पहले प्राइवेट नौकरी को अलविदा कहकर उन्होंने दो कनाल जमीन पर जैविक खेती शुरू की थी, जो 6 एकड़ तक पहुंच गई है। इसमें वह करीब 150 किस्मों के फल-सब्जियां और अन्य फसलें उगा रहे हैं। वह बीज भी बनाकर बिक्री करते हैं। वह फसल विविधीकरण भी भरपूर करते हैं। उनकी अच्छी आमदनी है। अमृतपाल ने बताया कि वह कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएट है। उन्होंने वर्ष 2014 तक विभिन्न प्राइवेट कंपनियों में नौकरी की। इसके बाद उन्हें एहसास हुआ कि लगातार पेस्टिसाइड का इस्तेमाल करने से बड़े स्तर पर बीमारियां फैल रही हैं और भूमि काे भी नुकसान हो रहा है। तब उन्होंने नौकरी छोड़कर जैविक ऑर्गेनिक खेती शुरू की। उन्होंने वर्ष 2014 में दो कनाल में शुरू की, जो 2015 में 6 कनाल, 2017 में 4 एकड़ और वर्ष 2018 में बढ़ते-बढ़ते 6 एकड़ तक पहुंच गई। यह काम जारी है। इसके लिए तीन लोगों को पक्के तौर पर नौकरी पर रखा हुआ है। बेंगलुरु से बीज बनाने की विधि सीखी उन्होंने जैविक खेती की बाकायदा ट्रेनिंग ली थी।वह बताते हैं कि वर्ष 2022 में उन्होंने बेंगलुरू में एक क्लास लगाई थी, जिसमें उन्होंने करीब 15 दिन में बीज तैयार करने की विधि सीखी थी। वहां से लौटकर करीब डेढ़ साल तक उन्होंने इस पर काम किया। अब उनके पास 150 किस्मों के बीज हैं। तेल, मूंगफली, अलसी, सूरजमुखी, कचालू जैसी फसलों के, जिनकी खेती करीब 40 साल पहले पंजाब में होती थी, बीज उनके पास हैं। वह इनकी खेती भी कर रहे हैं। वह हर तरह की दालों, सभी मौसमी सब्जियां के अतिरिक्त ज्वार, बाजरा, गन्ना और फलों में माल्टा, ड्रैगन फ्रूट, पपीता, केला, अमरूद, नाशपाती, चीकू, नींबू अपने खेतों में उगाते हैं। इन्हें बेचने के लिए उन्होंने कई किसानों के साथ मिलकर बरनाला में किसान हट खोली हुई है, जहां लोग खरीदारी करने आते हैं। कुछ लोग उनके खेत से भी खरीदारी करते हैं। करीब 100 किसान उनके साथ जुड़कर खेती कर रहे हैं। यह कारवां धीरे-धीरे बढ़ रहा है। पंजाब को पेस्टिसाइड मुक्त करना मकसद परिवार में माता-पिता, भाई और पत्नी हैं। इनका उनके काम में पूरा सहयोग रहता है। अमृतपाल का मानना है कि उनके काम में एक आम किसान के मुकाबले अधिक मेहनत है। उनका मकसद धरती को, पंजाब को पेस्टिसाइड मुक्त करना है। हर घर में बीमारी आ गई है, जिसके चलते उन्होंने यह कदम उठाया है। पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना ने उन्हें पंजाब ऑर्गेनिक किसान यूनियन का प्रधान बनाया है। अब बड़ी संख्या में लोग उनके साथ जुड़ गए हैं।

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