कोविड वैक्सीन से नहीं बढ़े हार्ट अटैक के मामले, AIIMS के डॉक्टरों ने वैज्ञानिक डेटा से बता दी हकीकत

by Carbonmedia
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हाल के वर्षों में अचानक हार्ट अटैक से हो रही युवाओं की मौतों को लेकर सोशल मीडिया पर उठ रहे सवालों और वैक्सीनेशन से उसके कथित संबंध पर आज यानी 03 जुलाई को दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) दिल्ली के वरिष्ठ डॉक्टरों ने अहम जानकारी दीं. उन्होंने स्पष्ट किया कि कोविड वैक्सीन और एकदम से हार्ट अटैक के मामलों में कोई संबंध नहीं मिला है. वहीं, वैज्ञानिक आंकड़े के मुताबिक कोविड वैक्सीन की वजह से एकदम से हार्ट अटैक के मामले कम भी हुए हैं.
भारत में लगाई गईं ये दो वैक्सीन
AIIMS दिल्ली के वरिष्ठ संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय राय के मुताबिक, जनवरी 2021 में भारत में वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई. उस दौरान कोविशील्ड और कोवैक्सिन दो प्रमुख वैक्सीन इस्तेमाल की गईं. इन दोनों वैक्सीन का ट्रायल भारत में हुआ और कोविशील्ड की प्रभावशीलता 63% रही थी. वहीं, अब तक दुनियाभर में 13 अरब से ज्यादा डोज दी जा चुकी हैं और WHO ने 12 वैक्सीन को मंजूरी दी है. डॉ. संजय राय के मुताबिक, पहले ये तय करना होगा कि वैक्सीन के फायदे ज्यादा हैं या फिर नुकसान? इसका जवाब है कि कोविड वैक्सीन के फायदे नुकसान से बेहद ज्यादा थे और रिएक्शन की दर काफी कम थी. 
उदाहरण के लिए, कोविड वैक्सीन से होने वाले गंभीर रिएक्शन 10 लाख लोगों में 30 से 70 लोगों में ही देखे गए. इसी तरह 12 साल से कम उम्र के बच्चों को भारत में वैक्सीन नहीं दी गई, क्योंकि उस आयु वर्ग में वैक्सीनेशन का रिस्क फायदे से ज्यादा था. ऐसे में भारत का वैक्सीन प्रोग्राम कोविड के खिलाफ वैज्ञानिक आधार पर था.
यूथ को अचानक क्यों आ रहा हार्ट अटैक?
एम्स दिल्ली के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. राजीव नारंग के मुताबिक, भारत में युवाओं में एकदम से हार्ट अटैक के पीछे तीन प्रमुख कारण हैं. ये कारण हार्ट मसल का मोटा होना, मॉलिक्यूलर में बदलाव और पारंपरिक क्लॉटिंग है. वहीं, बुजुर्गों में हार्ट अटैक का मुख्य कारण क्लॉटिंग है. कोविड के बाद लोगो में हेल्थ अवेयरनेस बढ़ी है और सोशल मीडिया का इस्तेमाल भी बढ़ा है. ऐसे में भारत में कोविड के बाद एकदम से हार्ट अटैक के मामले बढ़ते दिख रहे हैं, जबकि ऐसा नहीं है. डॉ. नारंग ने 8 जरूरी उपाय सुझाए हैं, जिससे एकदम से आने वाले हार्ट अटैक को रोका जा सकता है. इनमें पहला धूम्रपान बंद करें. दूसरा रोजाना एक्सरसाइज करें. तीसरा संतुलित आहार लें. चौथा तनाव कम करें. पांचवां नींद पूरी लें. छठा शराब से दूरी बनाएं. सातवां मोटापा नियंत्रित करें और आठवां समय-समय पर चेकअप कराएं.
क्या वैक्सीन की वजह से आ रहा हार्ट अटैक?
AIIMS दिल्ली के सांस रोग विशेषज्ञ डॉ. करन मदान ने वैक्सीन और एकदम से हार्ट अटैक की थ्योरी को नकारते हुए दावा किया कि कोविड वैक्सीन ने लाखों लोगों की जान बचाई है. वैक्सीन के फायदे ज्यादा मिले हैं. साथ ही, सडन कार्डियक डेथ और वैक्सीन के बीच कोई वैज्ञानिक संबंध नहीं है.
जांच में सामने आई यह बात
एम्स और आईसीएमआर की स्टडी में शामिल डॉ. सुधीर आरवा के मुताबिक, स्टडी में कोविड के दौरान जिनकी हार्ट अटैक से मौत हुई और बाद में जिनकी मौत हार्ट अटैक से हुई, ऐसे 300 सैंपल पर स्टडी की गई. जांच में सामने आया कि अधिकतर मौतों का कारण coronary artery disease था, जिसका सबसे बड़ा कारण धूम्रपान और शराब रहा. इसके अलावा कोविड से पहले और बाद में युवाओं में हार्ट अटैक के आंकड़े लगभग एक बराबर हैं. फर्क यह है कि अब सोशल मीडिया की वजह से हर घटना तुरंत सामने आ जाती है.
किस वजह से होती है ब्लड क्लॉटिंग?
एम्स दिल्ली की हेमेटोलॉजी विभाग की डॉ. तुलिका ने बताया कि थ्रोम्बोसिस (ब्लड क्लॉट) सिर्फ कोविड वैक्सीन से नहीं, बल्कि रेबीज या अन्य वैक्सीन से भी हो सकता है. यह एक जैविक प्रतिक्रिया है. साथ ही, कोविड वायरस खुद भी खतरनाक ब्लड क्लॉटिंग करता है, इसलिए वैक्सीन को दोष देना गलत है. कोविड वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावी है.
पूरे देश में क्या है हाल?
AIIMS के फॉरेंसिक विभाग के डॉ. अभिषेक यादव के मुताबिक, एम्स के डेटा से सामने आया कि कोविड के बाद अचानक दिल के दौरे से मौत के मामलों में कमी आई है. इसमें इजाफा नहीं हुआ है. ऐसे में जरूरत पूरे देश में एक स्टडी करने की है, जिससे सही स्थिति सामने आए.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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