बीजेपी आलाकमान ने तेलंगाना के लिए नए प्रदेश अध्यक्ष का नाम क्या तय किया, तेलंगाना में बीजेपी में बड़ी बगावत हो गई है. पहले तो तेलंगाना बीजेपी के फायर ब्रांड नेता टी राजा सिंह ने इस्तीफा दे दिया, फिर एक और विधायक ने भी पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया और बची-खुची कसर पूरी कर दी निजामाबाद के सांसद धरमपुरी अरविंद ने. उन्होंने पार्टी तो नहीं छोड़ी, लेकिन अध्यक्ष चुनने के लिए बुलाई गई बैठक से गैरहाजिर रहकर अपनी नाराजगी जाहिर कर दी.
तो आखिर तेलंगाना बीजेपी में ऐसा क्या हुआ है कि वहां पार्टी टूटती नजर आ रही है, आखिर कौन हैं रामचंदर राव, जिनके अध्यक्ष बनने के ऐलान ने तेलंगाना में इतनी बड़ी बगावत कर दी है और क्या अब इस बगावत को देखते हुए बीजेपी का आलाकमान अपने फैसले पर फिर से विचार करेगा?फिलवक्त तेलंगाना बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं सिकंदरबाद के सांसद जी किशन रेड्डी. केंद्र में मंत्री भी हैं और अब उनका कार्यकाल पूरा हो रहा है, तो पार्टी को प्रदेश में नए अध्यक्ष की जरूरत है. इसके लिए तेलंगाना में बीजेपी की ओर से इकलौता नामांकन दाखिल किया बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता, संघ के नजदीकी और पूर्व एमएलसी एन रामचंदर राव ने. लिहाजा उनका अध्यक्ष बनना तय था और उनकी अध्यक्षी की वजह से तेलंगाना में बीजेपी के कई कद्दावर नेता नाराज हैं.इनमें सबसे बड़ा नाम बीजेपी के फायर ब्रांड नेता रहे टी राजा सिंह का है, जिन्होंने आलाकमान के इस फैसले का विरोध करते हुए बीजेपी से इस्तीफा दे दिया है और प्रदेश अध्यक्ष जी किशन रेड्डी को पत्र में लिख दिया है कि वो विधानसभा अध्यक्ष को सूचित कर दें कि टी राजा सिंह अब बीजेपी के विधायक नहीं हैं. उनके अलावा निजामाबाद के सांसद धरमपुरी अरविंद और मलकाजगिरी के सांसद इटाला राजेंद्र भी प्रदेश अध्यक्ष बनने की रेस में थे, लेकिन आलाकमान ने उन्हें मौका नहीं दिया तो उनकी भी नाराजगी की खबरें सामने आ रही हैं.सवाल है कि आखिर एन रामचंदर राव पर बीजेपी आलाकमान को इतना भरोसा क्यों है कि वो अपने विधायक को भी जाने दे रहा है और दो-दो सांसदों की नाराजगी को भी तवज्जो नहीं दे रहा है. इसका इकलौता जवाब है संघ. एन रामचंदर राव वकील हैं. 2015 से 2021 तक बीजेपी के एमएलसी रहे हैं. तेलंगाना में जब बीजेपी ने सदस्यता अभियान शुरू किया था तो इसके भी इंचार्ज एन रामचंदर राव ही रहे थे.
रामचंदर राव की शुरुआत बीजेपी की स्टूडेंट विंग एबीवीपी से तब हुई, जब देश में इमरजेंसी लगी हुई थी. वहां से वो संघ में आए और फिर बीजेपी की राजनीति में. जाति से ब्राह्मण एन रामचंदर राव अगले तीन साल के लिए तेलंगाना बीजेपी के अध्यक्ष रहेंगे और उसके बाद जब 2028 में प्रदेश के विधानसभा चुनाव होंगे तो उनकी जगह पर हो सकता है कि आलाकमान किसी पिछड़े वर्ग से आने वाले नेता का नाम तय करे. इतना तो तय है कि एन रामचंदर राव के अध्यक्ष बनने के बाद तेलंगाना बीजेपी में बगावत के जो सुर उठे हैं, वो पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकते हैं. हो सकता है कि नाराज दोनों सांसद यानी कि निजामाबाद के सांसद धरमपुरी अरविंद और मलकाजगिरी के सांसद इटाला राजेंद्र भले कम नुकसान करें, लेकिन तेलंगाना में हिंदुत्व के सबसे बड़े झंडाबरदार, ओवैसी भाइयों के सबसे बड़े विरोधी और हर मुद्दे पर मुखर टाइगर राजा सिंह के इस्तीफे से पूरे तेलंगाना में बीजेपी को नुकसान हो न हो, उनकी विधानसभा गोशामहल और उसके आस-पास के इलाकों में तो बीजेपी का नुकसान होना तय है.
कौन हैं रामचंदर राव, जिनकी वजह से तेलंगाना BJP में बड़ी टूट हो गई?
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