कौशांबी के जिस रेप मामले में आरोपी के पिता ने किया सुसाइड, उसमें दुष्कर्म की पुष्टि नहीं, दबाव में दर्ज हुआ केस?

by Carbonmedia
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Kaushambi Rape Case: यूपी के कौशांबी में लोहंदा के रामबाबू तिवारी हत्याकांड में नया मोड़ आ गया है. 8 वर्षीय मासूम बच्ची के साथ रेप मामले में SIT ने बड़ा खुलासा किया है. SIT की रिपोर्ट में मासूम बच्ची के साथ रेप की पुष्टि नहीं हुई है. बच्ची को रेप के आरोपी युवक ने सिर्फ एक थप्पड़ मारा था, इस बात से खफा होकर परिजनों ने युवक के खिलाफ रेप एवं पॉक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज कराया था. पुलिस ने आरोपी बनाए गए धन्नू उर्फ सिद्धार्थ तिवारी को जेल भेजा था. अब विवेचक ने रेप की धारा और पॉक्सो को हटा दिया है. न्यायालय ने उसे जमानत दे दी है.
आरोपी बनाए गए युवक के अधिवक्ता का दावा है कि 164 के बयान में पीड़िता ने स्वीकार किया था कि उसने अपनी मां के कहने पर झूठा आरोप लगाया था. इसके बाद कोर्ट ने आरोपी को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. एसपी ने लापरवाही बरतने पर सैनी कोतवाली के इंस्पेक्टर समेत तीन को निलंबित किया है. जबकि साजिश रचने वाले ग्राम प्रधान समेत तीन के खिलाफ हत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज किया है. दो आरोपियों को जेल भेज दिया गया. वहीं फरार ग्राम प्रधान पर एसपी ने 25 हजार का इनाम घोषित किया है.
रेप केस में भेजा गया था धुन्नू उर्फ सिद्धार्थ तिवारी को जेलसैनी कोतवाली इलाके में 27 मई को 8 वर्षीय मासूम बच्ची से रेप की शिकायत पुलिस से की गई थी. रेप के आरोप में पुलिस ने धुन्नू उर्फ सिद्धार्थ तिवारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया था. बेटे की बेगुनाही के लिए पिता रामबाबू तिवारी ने अफसरों की चौखट पर गुहार लगाई, लेकिन हर जगह उसे निराशा ही हाथ लगी. सुनवाई न होने पर 4 जून को सैनी कोतवाली के सामने ज़हर खाकर आत्महत्या कर ली. मौत से पहले रामबाबू ने अपने शरीर पर लिखकर ग्राम प्रधान भूपनारायण पाल पर चुनावी रंजिश में बेटे को फंसाने का आरोप लगाया था. 
इस मामले में एसपी राजेश कुमार ने पथरावा चौकी इंचार्ज आलोक कुमार एवं विवेचक कृष्णास्वरूप को निलंबित कर दिया, जबकि सैनी थाना अध्यक्ष बृजेश करवरिया को लाइन हाज़िर कर दिया. मामले की विवेचना कड़ाधाम थाना प्रभारी धीरेंद्र कुमार को सौंपी गई. 
मां के कहने पर दर्ज कराया था रेप का झूठा केस?एसपी राजेश कुमार ने बताया कि प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए SIT टीम गठित की गई.  एसआईटी रिपोर्ट के अनुसार बच्ची रामायण सुनने के लिए आरोपी के घर की तरफ गई थी. वहां एक टिन शेड लगा था. जिसमे बच्चे ईंट पत्थर फेंक रहे थे. आरोपी धन्नू ने बच्ची को एक थप्पड़ जड़ दिया था. बच्ची रोते हुए अपने घर गई और मामले की जानकारी दी. जिस पर परिजनों ने बच्ची के साथ रेप की झूठी कहानी बनाई. मां के कहने पर बेटी ने आरोपी धन्नू पर रेप का आरोप लगाया था.
उन्होंने 164 के बयान की समीक्षा की, जिसमें पीड़िता ने अपनी मां के दबाव में आरोप लगाने की बात कबूली. इसके आधार पर 376 और पॉक्सो की धारा खत्म कर दी गई. इसके बाद आरोपी के वकील अविनाश कुमार त्रिपाठी ने एसीजेएम कोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की, जिसे मंज़ूर करते हुए कोर्ट ने युवक की रिहाई का आदेश दे दिया. अब सवाल यही है कि अगर पहले ही 164 के बयान का अवलोकन कर विवेचना ईमानदारी से होती, तो एक बाप की जान बच सकती थी.

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