अगर आप रोज सोचते हैं कि 7 घंटे की नींद काफी है या फिर 9 घंटे सोना जरूरी है तो आप अकेले नहीं है. भागदौड़ भरी जिंदगी और बिजी रूटीन में नींद अक्सर हमारी प्रायोरिटी में सबसे नीचे आ जाती है. कई लोग कम नींद लेकर भी खुद को ठीक महसूस करते हैं. जबकि कुछ लोग पूरी 9 घंटे की नींद के बावजूद थकान महसूस करते हैं. ऐसे में सवाल यह होता है कि आखिर कितनी नींद लेना सही है. नींद पर आधारित कई रिसर्च स्टडीज में जिनमें पबमेड पब्लिश्ड रिसर्च शामिल है वह बताती है कि हेल्थी लाइफस्टाइल के लिए युवाओं को हर रात 7 से 9 घंटे की नींद लेनी चाहिए. वहीं एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह दायरा शरीर की रिकवरी मेंटल हेल्थ और इम्यून सिस्टम को मजबूती देने के लिए सबसे उपयुक्त है.
हर व्यक्ति की अलग होती है जरूरत
कुछ एक्सपर्ट्स के अनुसार, नींद की कोई एक सटीक संख्या नहीं होती है. 7 से 9 घंटे के बीच कौन सा समय आपके लिए सबसे अच्छा है यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपका शरीर और दिमाग किस समय पर सबसे ज्यादा आराम महसूस करता है. कुछ लोग 7 घंटे में तरोताजा महसूस करते है जबकि कुछ लोगों को 9 घंटे की नींद चाहिए होती है. वहीं उम्र भी नींद की जरूरत को प्रभावित करती है 65 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों को आमतौर पर 7 से 8 घंटे की नींद पर्याप्त होती है वहीं युवा और मिड एज वाले लोगों को 7 से 9 घंटे की नींद चाहिए होती है.
नींद की क्वालिटी भी रखती है मायने
सिर्फ घंटे की संख्या ही नहीं बल्कि नींद की गुणवत्ता भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है. बार-बार नींद टूटना, तनाव और खराब सोने का वातावरण आपकी नींद की पूर्णता को खराब कर सकते हैं. ऐसे में भले ही आप 8 घंटे बिस्तर पर रहे लेकिन सही से नींद नहीं मिलने से शरीर को पूरा आराम नहीं मिल पाता है.
कम और ज्यादा दोनों हो सकती है नुकसानदेह
अगर आप रोजाना केवल 6 से 7 घंटे की नींद लेते हैं तो यह धीरे-धीरे आपका मूड, एकाग्रता और इम्यूनिटी को प्रभावित कर सकता है. वहीं अगर कोई व्यक्ति रोजाना 9 घंटे से ज्यादा सो रहा है तो यह डिप्रेशन या थायराइड जैसी किसी मेडिकल स्थिति का संकेत भी हो सकता है.
नींद को दीजिए प्राथमिकता
आपको अपनी नींद की जरूरत को समझते हुए ऐसा शेड्यूल बनाना चाहिए जिससे आपको न सिर्फ पर्याप्त समय मिले सोने का बल्कि आपकी नींद बिना बाधा के पूरी हो. अच्छी नींद न सिर्फ आपको मानसिक रूप से तरोताजा करती है बल्कि दिन भर की ऊर्जा, काम की परफॉर्मेंस और भावनात्मक संतुलन को भी बनाए रखती है.
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