क्या इंसानियत का अंत करीब है? भारतीय मूल के AI विशेषज्ञ ने दी खौफनाक चेतावनी!

by Carbonmedia
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AI on Humanity: आजकल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की तेजी से बढ़ती ताकत ने दुनियाभर में चिंता बढ़ा दी है. जहां एक ओर ChatGPT, Google Veo और Grok जैसे AI टूल्स हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुके हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ विशेषज्ञ भविष्य को लेकर डराने वाली भविष्यवाणियां कर रहे हैं.


AI ले सकता है हर काम की जगह


भारतीय मूल के कंप्यूटर साइंस प्रोफेसर सुभाष काक, जो अमेरिका की ओक्लाहोमा स्टेट यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं, ने ब्रिटेन की मीडिया संस्था The Sun से बात करते हुए चेतावनी दी है कि आने वाले समय में AI इंसानों का लगभग हर काम संभाल लेगा. उनके अनुसार, “भले ही रोबोट्स कभी पूरी तरह सचेत न हों, लेकिन वो हमारी लगभग सभी भूमिकाएं निभा लेंगे, ऑफिस के फैसले से लेकर रोज़मर्रा के छोटे काम तक.”


भविष्य में घट सकती है आबादी, शहर बन सकते हैं वीरान


प्रोफेसर काक का दावा है कि AI की वजह से बेरोज़गारी इतनी बढ़ेगी कि लोग बच्चे पैदा करने से कतराएंगे. इस कारण से 2300 या 2380 तक धरती की जनसंख्या घटकर महज़ 100 मिलियन (10 करोड़) रह सकती है जो कि आज के ब्रिटेन की आबादी के बराबर है. उन्होंने यह भी कहा कि न्यूयॉर्क और लंदन जैसे बड़े शहर वीरान हो जाएंगे और “घोस्ट टाउन” बन जाएंगे.


क्या इंसानी जीवन खत्म हो जाएगा?


प्रोफेसर काक के मुताबिक, यूरोप, चीन, जापान और खासकर दक्षिण कोरिया में जन्म दर लगातार गिर रही है. लोग भविष्य की अनिश्चितता और नौकरियों की कमी की वजह से बच्चे पैदा करने में हिचकिचा रहे हैं. यह चेतावनी टेस्ला के सीईओ एलन मस्क की बातों से मेल खाती है जिन्होंने पहले भी AI और घटती बर्थ रेट को मानव जाति के लिए खतरा बताया है. मस्क का मानना है कि हमें अंतरिक्ष में कॉलोनियां बसानी चाहिए ताकि अगर पृथ्वी पर कोई संकट आए तो मानव जीवन को फिर से शुरू किया जा सके.


AI का डर बनाम नई संभावनाएं


प्रोफेसर काक ने अपनी किताब The Age of Artificial Intelligence में भी इन खतरों का ज़िक्र किया है जिसमें उन्होंने बताया है कि किस तरह AI का इस्तेमाल अब सिर्फ बिज़नेस तक सीमित नहीं रहा बल्कि आम लोग भी इसका भरपूर उपयोग कर रहे हैं जिससे भविष्य में रोजगार के अवसरों पर असर पड़ सकता है. हालांकि, हाल ही में पेरिस में हुए AI Action Summit में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस डर को कम करते हुए कहा कि तकनीक नौकरियों को खत्म नहीं करती बल्कि उनके स्वरूप को बदल देती है. इतिहास गवाह है कि हर तकनीकी क्रांति के साथ नए प्रकार के रोजगार पैदा हुए हैं.


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