UP News: जमीयत दवातुल मुस्लिमीन के संरक्षक व प्रसिद्ध देवबंदी उलेमा मौलाना क़ारी इसहाक गोरा ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण वीडियो बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने मौजूदा दौर में मुसलमानों के बीच कृत्रिम बालों (विग्स) के बढ़ते प्रचलन पर रोशनी डालते हुए इस मसले पर शरीयत का नजरिया पेश किया है.
उन्होंने कहा कि आजकल समाज में विग पहनने का चलन तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसके दीन-ओ-शरीयत से जुड़े पहलुओं को लेकर आम लोगों में ग़लतफ़हमियाँ और असमंजस का माहौल है. विशेष रूप से नमाज़ के संदर्भ में यह सवाल उठता है कि क्या विग पहनकर नमाज़ अदा की जा सकती है?
नमाज़ अधूरी मानी जाएगी
मौलाना गोरा ने इस सिलसिले में दारुल उलूम देवबंद के एक पूर्ववर्ती फ़तवे का हवाला देते हुए कहा कि यदि कोई व्यक्ति विग या नकली दाढ़ी लगाकर नमाज़ अदा करता है, तो ऐसी नमाज़ “अधूरी” मानी जाएगी, क्योंकि इससे न सिर्फ तबीअत में बनावट आती है बल्कि वुज़ू और ग़ुस्ल की शरई शर्तें भी पूरी नहीं हो पातीं.
वुजू बहुत अहम् है इस्लाम में
उन्होंने स्पष्ट किया कि इस्लाम में वुज़ू (नमाज़ से पहले शारीरिक शुद्धता के लिए हाथ, मुंह, सिर व पाँव धोना) और ग़ुस्ल (पूरे शरीर की पाकीज़गी) का बड़ा अहम मुक़ाम है. लेकिन जब सिर पर कृत्रिम बालों की टोपी (विग) चढ़ी हो, तो पानी बालों के आर-पार होकर त्वचा तक नहीं पहुँच पाता. नतीजतन, वुज़ू और ग़ुस्ल का मूल उद्देश्य ही पूरा नहीं होता और जिस्म पाक नहीं माना जाता.
विग और हेयर ट्रांसप्लांट अलग हैं
इस दौरान उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विग और हेयर ट्रांसप्लांट दो अलग-अलग चीज़ें हैं. दारुल उलूम देवबंद ने अपने फ़तवे में हेयर ट्रांसप्लांट को शरीयत के खिलाफ नहीं बताया है, बशर्ते यह हिला (धोखा) न हो और न ही किसी गैर-इस्लामी तर्ज़ पर किया गया हो.
नौजवानों को समझने की जरूरत
मौलाना गोरा ने कहा कि आज की बदली हुई जीवनशैली ने मुसलमानों, विशेषकर नौजवानों में नई-नई आदतें पैदा की हैं. ऐसे में दीन और शरीयत से जुड़ी बुनियादी बातों को समझना और उन पर अमल करना पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी हो गया है. उन्होंने अंत में यह ताकीद की कि मुसलमानों को दिखावे और बनावट के बजाय सादगी, पाकीज़गी और ईमानदारी को अपनाना चाहिए.