ऋषभ पंत के पैरे के अंगूठे में इंग्लैंड के खिलाफ चौथे टेस्ट में फ्रैक्चर आ गया. इसके बावजूद वो बल्लेबाजी करने आए, पंत को टूटे हुए अंगूठे से खुद ही रन लेने के लिए दौड़ना पड़ रहा था. लेकिन यही अगर साल 2011 से पहले का समय होता तो, पंत को एक ‘रनर’ मिल जाता. जिसके बाद उन्हें सिर्फ खड़े रहकर बल्लेबाजी करनी होती और दूसरा खिलाड़ी उनके लिए रन भागता. लेकिन साल 2011 से आईसीसी ने इस नियम पर बैन लगा दिया है. आइए जानते हैं आईसीसी ने ऐसा क्यों किया.
क्यों नहीं मिलता अब रनर? 2011 के बाद से बदल गया नियम
पहले के समय में, जब कोई बल्लेबाज चोटिल हो जाता था, तो उसे रन लेने के लिए एक ‘रनर’ की मदद लेने की अनुमति होती थी. यह नियम ऐसे बल्लेबाजों के लिए बहुत फायदेमंद था, जिन्हें मांसपेशियों में खिंचाव, चोट या दौड़ने में तकलीफ होती थी. कई बार, इसी वजह से टीमें मैच हारने से बच जाती थीं और बल्लेबाज अपना योगदान दे पाते थे. लेकिन अब ऐसा नहीं होता है.
2011 में आईसीसी की सालाना मीटिंग में इस नियम को लेकर लंबी चर्चा हुई, जिसके बाद यह फैसला लिया गया कि अब से रनर की अनुमति नहीं दी जाएगी. आईसीसी का कहना था कि इस नियम का कई बार गलत फायदा उठाया गया. मैदान पर अंपायरों के लिए भी यह तय कर पाना मुश्किल होता था कि खिलाड़ी सच में चोटिल है या चालाकी कर रहा है.
आईसीसी के उस समय के प्रमुख हारून लोगार्ट ने ESPN को बताया था, “क्रिकेट कमिटी ने इस मुद्दे पर चर्चा की थी और यह महसूस किया कि कई बार रनर का इस्तेमाल सही भावना से नहीं किया गया. अंपायरों के लिए यह तय करना मुश्किल होता था कि बल्लेबाज को सच में चोट लगी है या नहीं. अगर कोई गेंदबाज चोटिल हो जाए, तो वह दिनभर गेंदबाजी नहीं कर सकता, इसलिए यह फैसला लिया गया कि रनर की अनुमति न दी जाए, क्योंकि इस नियम का पहले भी दुरुपयोग हुआ है.”
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