क्रूज शिप को लेकर डेनमार्क और स्वीडन संग भारत ने कर ली बड़ी डील, जानें कैसे होगा फायदा

by Carbonmedia
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Cruise vessel manufacturing: भारत ने वैश्विक जहाज निर्माण क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाई है. कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE) ने स्वीडन और डेनमार्क की प्रमुख कंपनियों के साथ दो रणनीतिक समझौते किए हैं. इन समझौतों के जरिए भारत अब मरीन प्रोपल्शन और क्रूज जहाज निर्माण जैसे क्षेत्रों में अपने कदम और मजबूत करेगा.
स्वीडन की बर्ग प्रोपल्शन के साथ साझेदारीGRSE ने स्वीडन की मशहूर कंपनी बर्ग प्रोपल्शन के साथ समुद्री जहाजों की प्रणोदन प्रणाली (Marine Propulsion System) और संबंधित उपकरणों के निर्माण के लिए रणनीतिक समझौता किया है. बर्ग प्रोपल्शन को दुनिया की अग्रणी मरीन प्रणोदन तकनीक विकसित करने वाली कंपनियों में गिना जाता है.
इस एमओयू का मकसद दोनों कंपनियों की तकनीकी विशेषज्ञता और उत्पादन क्षमताओं का संयुक्त उपयोग कर रक्षा से जुड़ी मौजूदा और भविष्य की परियोजनाओं में सहयोग करना है. इस समझौते पर बर्ग प्रोपल्शन के मुख्यालय में हस्ताक्षर किए गए.
डेनमार्क की सनस्टोन के साथ क्रूज जहाज निर्माण की दिशा में कदमGRSE ने इसी कड़ी में डेनमार्क की सनस्टोन कंपनी के साथ भी समझौता किया है. सनस्टोन डेनमार्क की एक प्रमुख अभियान क्रूज जहाज (Expedition Cruise Ships) सप्लायर है. यह एमओयू कोपेनहेगन में साइन किया गया, जिसका उद्देश्य भविष्य में क्रूज जहाज निर्माण के क्षेत्र में सहयोग और तकनीकी आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है.
भारत की वैश्विक समुद्री भूमिका को मिलेगा विस्तारGRSE ने कहा कि इन रणनीतिक समझौतों से कंपनी की क्षमताओं में वृद्धि होगी और वैश्विक समुद्री बाजार में भारत की भागीदारी को मजबूती मिलेगी. यह सहयोग भारत की आत्मनिर्भरता और तकनीकी सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
नौसेना के लिए बना एंटी-सबमरीन युद्धपोतGRSE, रक्षा मंत्रालय के अधीन एक प्रमुख शिपयार्ड है, जो भारतीय नौसेना के लिए जंगी जहाज और पेट्रोल वैसल तैयार करता है. हाल ही में GRSE ने एंटी-सबमरीन वॉरफेयर (ASW) -शैलो वाटर क्राफ्ट तैयार किया है. INS अर्नाला नाम का यह जहाज 18 जून को विशाखापट्टनम में नौसेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा.
अब क्रूज जहाज निर्माण की भी तैयारीडेनमार्क की कंपनी के साथ समझौते के बाद GRSE अब क्रूज जहाज निर्माण के क्षेत्र में भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराने जा रही है. यह भारत के लिए एक नया और संभावनाओं से भरा हुआ क्षेत्र है, जिसमें अब स्वदेशी कंपनियों का योगदान बढ़ेगा.

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